कोका-कोला ने लॉन्च की 100% रिसाइकिल होने वाली बोतल:अब 250ml और 750ml कोल्ड ड्रिंक्स rPET बोतलों में मिलेंगी

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अब कोका-कोला पूरी तरह से रिसाइकिल​​​​​​ होने वाली बोतल में पैक होकर आएगी। कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक बनाने वाली कंपनी कोका-कोला इंडिया ने 250ml और 750ml सेगमेंट की कोल्डड्रिंक की बोतल को 100% रिसाइकि​​​लेबल मटेरियल में लॉन्च किया है।

ये बोतल ढक्कन और लेबल को छोड़कर रिसाइकिल्ड पॉलीइथिलीन टेरेफ्थेलेट (PET) मटेरियल से बनाई गई है। PET पूरी तरह से फूड ग्रेडेड प्लास्टिक होता है। स्प्राइट और मिनट मेड जूस बनाने वाली कोका-कोला ने बताया है कि दुनियाभर के 40 मार्केट में इन बोतलों का यूज किया जा रहा है।

मौजूदा पार्टनर ही बनाएंगे rPET बोतलें
कंपनी ने कहा है कि उसके लिए बोतल बनाने वाले मौजूदा पार्टनर मून बेवरेजेज लिमिटेड और SLMG लिमिटेड ही इन बोतलों को बना रहे हैं। यह उसके 2030 तक 50% रिसाइकिल्ड कंटेंट के टारगेट का हिस्सा है। कंपनी ने बताया कि rPET बोतल भारत, अमेरिका और यूरोप की फूड सेफ्टी अथॉरिटी FSSAI, FDA और EFSA की ओर से अप्रूव है।

खाली बोतल को वापस कर सकते है कंज्यूमर्स
कोको-कोला ने अपने एक बयान में बताया कि कंज्यूमर्स ड्रिंक पीने के बाद खाली बोतल को ड्रॉप-ऑफ प्वाइंट या रिवर्स वेंडिंग मशीन (RVM’s) में डाल सकते हैं। कंपनी की ‘रिटर्न एंड रिसाइकिल’ इनिशिएटिव के तहत ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जेप्टो खाली बोतलों को कंज्यूमर्स से डायरेक्ट कलेक्ट कर लेगी।

कोका-कोला के फ्रेंचाइजी बॉटलिंग पार्टनर मून बेवरेजेज के चेयरमैन संजीव अग्रवाल ने बताया कि ‘PET प्लास्टिक बोतल का एक बार उपयोग हो जाने के बाद भी जीवन है। ये बोतल फूड ग्रेडेड प्लास्टिक rPET से बना है, जिसे रिसाइकिल करके दुबारा से एक नई बोतल बनाई जा सकती है। यह प्रयास भारत में प्लास्टिक सर्कुलेशन को अपनाने में मदद करेगा।’

कोका-कोला केफ्रेंचाइजी बॉटलिंग पार्टनर मून बेवरेजेज के चेयरमैन संजीव अग्रवाल ने कहा कि यह प्रयास भारत में प्लास्टिक सर्कुलेशन को अपनाने में मदद करेगा।
कोका-कोला केफ्रेंचाइजी बॉटलिंग पार्टनर मून बेवरेजेज के चेयरमैन संजीव अग्रवाल ने कहा कि यह प्रयास भारत में प्लास्टिक सर्कुलेशन को अपनाने में मदद करेगा।

पैकेजिंग में रिसाइकि​​​लेबल कंटेंट को बढ़ाने के लिए काम कर रही है कंपनी
कोका-कोला इंडिया और साउथवेस्ट एशिया के टेक्निकल और इनोवेशन के वाइस प्रेसिडेंट एनरिक एकरमैन ने बताया कि कंपनी अपनी पैकेजिंग में रिसाइकि​​​​​​​​​​लेबल कंटेंट को बढ़ाने के लिए काम कर रही है। उन्होंने बताया कि कंपनी दोबारा यूज करने वाले बोतलों के कलेक्शन और पैकेजिंग को बढ़ाने के लिए भी काम कर रही है।

इसके पहले कोका-कोला ने दिसंबर 2022 में बांग्लादेश में 100% रिसाइक्लेबल PET बोतल लॉन्च की थी। यह 1 लीटर किनले पानी के लिए लॉन्च की गई थी।
इसके पहले कोका-कोला ने दिसंबर 2022 में बांग्लादेश में 100% रिसाइक्लेबल PET बोतल लॉन्च की थी। यह 1 लीटर किनले पानी के लिए लॉन्च की गई थी।

​​​​​​137 साल पुरानी कोका कोला की नींव एक फार्मासिस्ट ने रखी थी
कोका-कोला कंपनी की शुरुआत हुई 1886 में । कोका-कोला की वेबसाइट के मुताबिक, एक दोपहर फार्मासिस्ट जॉन पेम्बर्टन ने अपनी लैब में एक liquid substance तैयार किया। इसे सोडे से बनाया गया था। जॉन ने कुछ लोगों को इसे पीने के लिए दिया। लोगों काे यह ड्रिंक पसंद आई। इस तरह कोका कोला का फॉर्मूला खोजा गया। आज बोतल में आने वाली कोका कोला तब गिलास में सर्व की जाती थी।

कोका-कोला की वेबसाइट के मुताबिक, एक दोपहर फार्मासिस्ट जॉन पेम्बर्टन ने अपनी लैब में एक लिक्विड सब्सटेंस तैयार किया।
कोका-कोला की वेबसाइट के मुताबिक, एक दोपहर फार्मासिस्ट जॉन पेम्बर्टन ने अपनी लैब में एक लिक्विड सब्सटेंस तैयार किया।

कोका कोला का नाम एक अकाउंटेंट ने रखा था
पेम्बर्टन के बही-खाते का हिसाब रखने वाले फ्रैंक रॉबिनसन ने उनके बनाए मिक्सचर को कोका-कोला नाम दिया। तब से लेकर आज तक ये कोका-कोला के नाम से ही जाना जाता है। रॉबिनसन का मानना था कि नाम में दो ‘C’ होने से कंपनी को फायदा होगा। कोका-कोला के पहले साल में रोज इसके सिर्फ नौ गिलास ही बिक पाते थे। आज दुनिया भर में कोका-कोला की करीब दो अरब से ज्यादा बोतलें रोज बिकती हैं।

महज एक सीरप बनाती है कंपनी, बाकी पानी-शुगर कहीं और मिलाया जाता है
कोका-कोला 200 से ज्यादा ड्रिंक्स के लिए सिर्फ कंसन्ट्रेट और सीरप बनाती है। कोका-कोला का यही कंसन्ट्रेट और सीरप एक सीक्रेट है, इसका प्रोडक्शन किस तरह और कहां होता है, यह पिछले 136 सालों से राज है। कंपनी का सारा मुनाफा इसी कंसन्ट्रेट और सीरप से आता है। कोक इस कंसन्ट्रेट और सीरप को अधिकृत बॉटलिंग पार्टनर्स को बेचती है।

फिर वे इसमें स्पार्कलिंग वॉटर और स्टिल मिलाने के अलावा ड्रिंक्स की जरूरत के मुताबिक उसमें स्वीटनर मिलाकर इसे आगे पैकेजिंग के लिए भेज देते हैं और यहीं अंतिम उत्पाद तैयार होता है। कोक के उत्पादों में ट्रेड मार्क कोका-कोला के अलावा फेंटा, स्प्राइट, थम्स अप आदि ब्रांड शामिल हैं। इनके अलावा स्पोटर्स और एल्कोहॉलिक ड्रिंक्स भी तैयार किए जाते हैं।

भारत में कोका कोला की हुई दो बार एंट्री
भारत में कोका कोला की शुरुआत 1956 में हुई। भारत में किसी तरह का फॉरेन एक्सचेंज एक्ट नहीं होने के कारण कंपनी को अच्छी ग्रोथ मिली। 1974 में इंदिरा गांधी सरकार ने भारत में फॉरेन एक्सचेंज एक्ट की शुरुआत की। हालांकि, 1977 में कंपनी को एक्ट के मुताबिक कारोबार न करने के चलते भारतीय बाजार को छोड़ना पड़ा। 1993 में उदारीकरण की नीतियों के चलते कंपनी को दोबारा भारत में कारोबार करने की सरकारी अनुमति मिल गई।

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