जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
जम्मू-कश्मीर का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की है। राहुल गांधी ने कहा कि संसद के आगामी मानसून सत्र में इसको लेकर बिल लाया जाए, ताकि जम्मू-कश्मीर फिर से अपना खोया हुआ राज्य का दर्जा पा सके। राहुल ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री मोदी को उनके ही पुराने दो वादों की याद दिलाई। उन्होंने कहा — आपने 19 मई 2024 को भुवनेश्वर और 19 सितंबर 2024 को श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा लौटाने का वादा किया था। अब वक़्त आ गया है कि आप अपने शब्दों को निभाएं।
राहुल गांधी ने इसके अलावा लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने के लिए भी केंद्र सरकार से विशेष कानून लाने की मांग की है, ताकि लद्दाख की संस्कृति, पहचान और प्रशासनिक स्वायत्तता संरक्षित रह सके।
दरअसल, साल 2019 में केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 और 35A हटाकर जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया था और जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था। उस वक्त सरकार ने कहा था कि हालात सामान्य होते ही राज्य का दर्जा वापस दे दिया जाएगा। लेकिन 6 साल बीतने के बाद भी जम्मू-कश्मीर अब तक केंद्र शासित प्रदेश ही बना हुआ है।
इसको लेकर अब कानूनी चर्चा भी फिर से गर्म हो गई है। जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य बनाने के लिए संसद में ‘जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019’ में बदलाव करना जरूरी है। संविधान की धारा 3 और 4 के तहत संसद दोनों सदनों में बिल पास करेगी। इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलेगी और अधिसूचना जारी होने के दिन से जम्मू-कश्मीर फिर से पूर्ण राज्य बन जाएगा।
लेकिन बड़ा सवाल है कि अगर जम्मू-कश्मीर को फिर राज्य का दर्जा मिल गया, तो क्या-क्या बदलेगा?
👉 सबसे पहले, पुलिस और कानून-व्यवस्था राज्य सरकार के पास आ जाएगी।
👉 भूमि, राजस्व और पब्लिक ऑर्डर से जुड़े कानून बनाने का अधिकार भी राज्य सरकार को मिल जाएगा।
👉 राज्यपाल (या उपराज्यपाल) का सीधा हस्तक्षेप खत्म होगा और वित्त आयोग से आर्थिक मदद सीधे राज्य को मिलेगी।
👉 राज्य सरकार अपने अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग खुद तय कर सकेगी।
👉 जेल में कैदियों की रिहाई, एंटी करप्शन ब्यूरो और ट्रेड-टैक्स जैसे मामलों पर भी राज्य को स्वायत्तता मिल जाएगी।
👉 सबसे अहम, मंत्रियों की संख्या पर लगाम हट जाएगी। अभी केंद्र शासित प्रदेश में सिर्फ 10% विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है, लेकिन राज्य बनने पर यह सीमा बढ़कर 15% हो जाएगी।
चौंकाने वाली बात यह है कि अक्टूबर 2024 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हुए थे। तीन चरणों में हुए इस चुनाव के नतीजे 8 अक्टूबर को आए। नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) ने 42 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर वापसी की। NC की सहयोगी कांग्रेस को 6 सीटें और CPI(M) को एक सीट मिली। जबकि बीजेपी ने 29 सीटें जीतीं। चौंकाने वाली गिरावट PDP की रही, जो 2014 में सबसे बड़ी पार्टी थी, उसे महज 3 सीटें मिलीं। महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती भी बिजबेहरा से चुनाव हार गईं।
अब देखना यह होगा कि राहुल गांधी की यह चिट्ठी क्या रंग लाती है और मोदी सरकार क्या मानसून सत्र में जम्मू-कश्मीर को राज्य बनाने का बिल संसद में लाती है या नहीं।