जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
क्रिसमस के मौके पर स्कूलों में बच्चों को सांता क्लॉज की वेशभूषा पहनकर आने का चलन बहुत पुराना है। जहां कुछ अभिभावक खुशी-खुशी अपने बच्चों को सांता क्लॉज बनाने के लिए तैयार हो जाते हैं, वहीं कुछ अन्य इस पर ऐतराज़ जताते हैं। वहीं, अब इसी को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने एक अहम कदम उठाया है।
मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने हाल ही में एक नया आदेश जारी किया है। इसके तहत, स्कूलों को बच्चों को सांता क्लॉज या किसी खास वेशभूषा में शामिल करने से पहले उनके माता-पिता से लिखित अनुमति लेनी होगी। इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बच्चों को बिना उनके अभिभावकों की सहमति के किसी खास रूप में नहीं ढाला जाए। बता दें, हिंदू संगठनों ने लंबे समय से इस पर शिकायत की थी कि क्रिसमस के समय कई स्कूल, विशेषकर मिशनरी स्कूल, बिना अनुमति के बच्चों को सांता क्लॉज बना देते हैं।
वहीं, अब आयोग ने इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करते हुए स्कूलों को यह निर्देश जारी किया है। मध्य प्रदेश सरकार ने यह आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि अगर बिना अनुमति के बच्चों को वेशभूषा पहनाई जाती है तो स्कूलों और संस्थाओं पर कार्रवाई की जाएगी। इस आदेश के तहत, स्कूल शिक्षा विभाग और जिलों के कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि वे सुनिश्चित करें कि बच्चों को किसी भी आयोजन में भाग लेने से पहले उनके अभिभावकों से अनुमति ली जाए।