जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
महेश्वर में हुई कैबिनेट बैठक के बाद, मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य स्तर पर अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले पर नया आदेश जारी किया है। इस नई नीति में उन नियमों का जिक्र है जो अब कर्मचारियों के तबादले को नियंत्रित करेंगे। जानते हैं, क्या हैं इसके प्रमुख बदलाव! लेकिन उससे पहले बड़ा सवाल यहाँ है कि क्या यह नई तबादला नीति सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आएगी या फिर बदलावों की बयार में किसी नई चुनौती का सामना करना पड़ेगा?
गौरतलब हो कि महेश्वर में हुई कैबिनेट बैठक में मंत्रियों को अब सरकारी कर्मचारियों के तबादले का अधिकार दिया गया है। इसके तहत अब राज्य की मोहन सरकार ने तबादला नीति (MP Transfer Policy 2025) में संशोधन का सर्कुलर जारी कर दिया है। जिसके चलते प्रदेश में अब विभागीय मंत्री के अनुमोदन से विशेष परिस्थिति में सभी विभागों और जिलों में सरकारी कर्मचारियों के ट्रांसफर हो सकेंगे।
हालांकि सामान्य प्रशासन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय दुबे के हस्ताक्षर से जारी इस सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है कि प्रतिबंध अवधि के दौरान या नीति से हटकर केवल अपवाद स्वरूप परिस्थितियों में ही प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शासकीय सेवकों के तबादले किए जा सकेंगे। इसके लिए संबंधित विभागीय मंत्री से प्रशासकीय अनुमोदन आवश्यक होगा।
बता दें, तबादला नीति के तहत, मुख्यमंत्री कार्यालय से मिले उच्च प्राथमिकता वाले मामलों में संबंधित विभाग के सचिव को प्रशासनिक मंजूरी लेकर आदेश जारी करना जरूरी है। अगर कोई तबादला मामला विभागीय नीति के खिलाफ है, तो पहले विभागीय मंत्री से मंजूरी लेनी होगी। इसके बाद, अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव के जरिए मुख्यमंत्री कार्यालय को फिर से प्रस्ताव भेजकर अंतिम आदेश लेना होगा।
मध्य प्रदेश ट्रांसफर पॉलिसी के नियम
गंभीर बीमारी के आधार पर
- कैंसर, लकवा, हार्ट अटैक या अन्य गंभीर बीमारियों से उत्पन्न तात्कालिक परिस्थितियों में तबादला किया जा सकेगा।
कोर्ट के आदेश के तहत
- ऐसे न्यायालयीन निर्णय, जिनका पालन करना अनिवार्य हो और कोई अन्य विधिक विकल्प न हो, के आधार पर भी तबादला किया जा सकेगा।
- इस स्थिति में संबंधित अधिकारी या कर्मचारी के विरुद्ध कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही लंबित नहीं होनी चाहिए।
अनुशासनात्मक कार्यवाही के तहत
- यदि किसी शासकीय सेवक पर गंभीर शिकायत, अनियमितता या लापरवाही के आरोप सिद्ध हो चुके हैं और उसके विरुद्ध मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) 1966 के नियम 14 या 16 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा चुकी है, तो उसका भी तबादला किया जा सकेगा।
भ्रष्टाचार या आपराधिक प्रकरण में संलिप्तता
- यदि लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू या पुलिस द्वारा किसी शासकीय अधिकारी/कर्मचारी के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया हो या अभियोजन की प्रक्रिया शुरू होने के कारण जांच प्रभावित होने की संभावना हो, तो तबादला किया जा सकता है।
प्रशासनिक जरूरतों के आधार पर
- निलंबन, त्यागपत्र, सेवानिवृत्ति, पदोन्नति, प्रतिनियुक्ति से वापसी या किसी शासकीय सेवक के निधन के कारण रिक्त पदों पर लोकहित में तबादला किया जा सकेगा।
- हालांकि, इस स्थिति में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जहां से तबादला किया जा रहा है, वहां पद रिक्त न हो और नए स्थान पर आवश्यकता से अधिक कर्मचारियों की पदस्थापना न की जाए।