रंगपंचमी की धूम: इंदौर की विश्वप्रसिद्ध गेर में उमड़ा जनसैलाब, यूनेस्को की टीम भी पहुंची; ड्रोन और CCTV से की जा रही निगरानी

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

रंगों और भक्ति का उत्सव रंगपंचमी इस वर्ष इंदौर में पहले से कहीं अधिक भव्यता और श्रद्धा के साथ मनाया गया। बुधवार को इंदौर की ऐतिहासिक गेर यात्रा में आस्था और आनंद का अपार संगम देखने को मिला। दूल्हे की बारात जैसी झूमती टोली, गुलाल से सराबोर गलियां और ढोल-ताशों की गूंज ने पूरे शहर को भक्तिमय उल्लास में डुबो दिया।

इंदौर की गेर केवल देश में ही नहीं, बल्कि विश्व स्तर पर भी प्रसिद्ध हो रही है। इस बार इसे यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल कराने के प्रयासों के तहत एक विशेष टीम भी इसमें शामिल हुई। कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि, “यदि हम शालीनता, महिलाओं की सम्मानजनक सहभागिता और सुरक्षित आयोजन सुनिश्चित कर सके, तो हमारी गेर को वैश्विक पहचान मिल सकती है।”

बता दें, 75 साल से चली आ रही इस परंपरा में इस बार कुछ खास नजारे भी देखने को मिले। ब्रज की लट्ठमार होली, रास रंग और श्रीकृष्ण की झांकी ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इंदौर की छतों पर लोगों ने तिरपाल लगाकर इस मनोरम दृश्य का आनंद ले रहे हैं साथ ही लोगो ने विश्वप्रसिद्ध गेर को देखने के लिए इंदौर में छतों की बुकिंग भी पहले से ही करवा ली थी। वहीं, पूरी गेर यात्रा में पुलिस प्रशासन ने भी मुस्तैदी दिखाई हैड्रोन कैमरे और 24 घंटे सक्रिय CCTV निगरानी से पूरे आयोजन को सुरक्षित रखा गया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, कालीचरण महाराज, मंत्री तुलसी सिलावट और विधायक मालिनी कौर सहित कई  व्यक्ति इस भव्य आयोजन का हिस्सा बने। इसी के साथ इस बार इंदौर की गेर ने नया कीर्तिमान रच दिया हैं। जी हाँ दावा किया जा रहा है कि इस वर्ष करीब 5 लाख लोगों ने इसमें भाग लिया, जिससे यह भारत की सबसे बड़ी रंगपंचमी यात्रा में से एक बन गई।

इस बीच, रंगों के उत्साह में डूबे श्रद्धालुओं के बीच एक व्यक्ति की तबीयत अचानक बिगड़ गई। भीड़ ने तुरंत एंबुलेंस को रास्ता दिया और कुछ ही पलों में उसे बाहर निकाला गया। इसके अलावा, तीन लोग अधिक भीड़ और उमस के कारण बेहोश हो गए, जिन्हें तत्काल प्राथमिक उपचार दिया गया। वहीं, राजवाड़ा के समीप हर्षोल्लास के बीच एक हृदयविदारक घटना भी घटी। गेर यात्रा के दौरान भीड़ के बीच एक 45 वर्षीय व्यक्ति ट्रैक्टर के नीचे आ गया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। उसकी जेब में सिर्फ 150 रुपए मिले, लेकिन कोई आईडी कार्ड या मोबाइल न मिलने के कारण उसकी पहचान अब तक नहीं हो पाई है। प्रशासन उसकी पहचान की कोशिश कर रहा है।

रंगों में सराबोर इंदौर की ऐतिहासिक गेर!

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