मध्यप्रदेश में जल-आधारित विकास की रफ्तार तेज, 38 मेगा सिंचाई प्रोजेक्ट्स पर सरकार की पैनी नजर; मुख्य सचिव की दो टूक – देरी नहीं सहेंगे, हर योजना समय पर पूरी होनी चाहिए

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

भोपाल से एक बड़ी और अहम खबर सामने आई है। मध्यप्रदेश सरकार अब विधानसभा चुनाव से पहले सिंचाई परियोजनाओं को हर हाल में पूरा कराने की दिशा में पूरी ताकत झोंक रही है। मुख्य सचिव अनुराग जैन की अगुवाई में जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ अफसरों के साथ परियोजनाओं की गहन समीक्षा शुरू कर दी गई है। राज्य में 200 करोड़ से अधिक लागत वाली 38 प्रमुख सिंचाई परियोजनाओं को निर्धारित समयसीमा में पूरा करने की ठोस योजना तैयार की जा रही है। इन परियोजनाओं की कुल लागत करीब 31132.56 करोड़ रुपये है और इनका सीधा असर लाखों किसानों की सिंचाई सुविधा और उत्पादन क्षमता पर पड़ेगा।

मुख्य सचिव अनुराग जैन ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक परियोजना की सतत मॉनिटरिंग की जाए। खास तौर पर उन परियोजनाओं में जहां वन भूमि का मामला आड़े रहा है, वहां वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बेहतर समन्वय कर समस्या का तत्काल समाधान निकाला जाए। उन्होंने कहा कि जिन परियोजनाओं में पहले से देरी हो चुकी है, उनके कारणों की जांच की जाए और इस वर्ष के अंत तक जिन प्रोजेक्ट्स को पूरा किया जाना है, उन्हें हर हाल में तय समय पर पूरा किया जाए।

प्रदेश में इस वर्ष 200 करोड़ से अधिक लागत की 10 बड़ी सिंचाई परियोजनाओं को 31 दिसंबर से पहले पूरा किया जाना है। इन परियोजनाओं की कुल लागत 3735.98 करोड़ रुपये है। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे प्रोजेक्ट्स के फिजिकल वेरिफिकेशन करें और हर निर्माणाधीन हिस्से का मूल्यांकन करें। इसके अलावा अगले चार वर्षों में 36705.08 करोड़ रुपये की 38 परियोजनाएं पूरी करने का रोडमैप भी तय कर दिया गया है। सीएस जैन ने सख्त लहजे में कहा कि हर परियोजना को उसके एग्रीमेंट में तय डेडलाइन के भीतर हर हाल में पूरा किया जाना चाहिए।

बता दें, मुख्य सचिव ने पार्वती परियोजना, लोअर परियोजना, छिंदवाड़ा कॉम्प्लेक्स, गोंड़ सिंचाई परियोजना और रतनगढ़ सूक्ष्म परियोजना जैसे प्रमुख कामों के भुगतान और फिजिकल वेरिफिकेशन की स्वतंत्र जांच के निर्देश दिए हैं। खास बात यह है कि मूंझरी और चेटीखेड़ा सिंचाई परियोजनाओं को अब विलंब श्रेणी में शामिल किया जाएगा, क्योंकि उनकी एग्रीमेंट अवधि के भीतर काम पूरा हो पाना मुश्किल माना जा रहा है।

राज्य की सबसे महंगी सिंचाई परियोजना हाट पिपल्या सूक्ष्म उद्वहन सिंचाई परियोजना है, जिसकी अनुमानित लागत 4813.26 करोड़ रुपये है। इस परियोजना को 29 जनवरी 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं, छिंदवाड़ा सिंचाई कॉम्प्लेक्स परियोजना दूसरी सबसे बड़ी परियोजना है, जिसकी लागत 4309 करोड़ रुपये है और इसे 20 जुलाई 2025 तक पूर्ण किया जाना है। इसके बाद तीसरे स्थान पर 3700.89 करोड़ रुपये की लागत वाली सीतापुर हनुमना बराज एवं सूक्ष्म दबाव सिंचाई परियोजना है, जिसे 12 सितंबर 2029 तक पूरा करने का प्लान है। मुख्य सचिव ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जिन सिंचाई परियोजनाओं से जल जीवन मिशन और पेयजल परियोजनाओं को लाभ मिलने वाला है, उन्हें विशेष प्राथमिकता दी जाए। जल संसाधन विभाग को इन योजनाओं को तेजी से पूरा कराने की जिम्मेदारी दी गई है ताकि गांव-गांव तक पानी पहुंचाया जा सके और लोगों को सीधा लाभ मिल सके।

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