“नमस्ते फ्रॉम स्पेस”: शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास, अंतरिक्ष से भारत को भेजा भावुक संदेश!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

भारत के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला सहित चार सदस्यीय टीम 26 जून को शाम 4:30 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंच गई। यह यात्रा एक्सियम मिशन-4 के तहत की गई, जिसे तकनीकी कारणों से छह बार टालना पड़ा था। लेकिन जैसे ही मिशन ने उड़ान भरी, भारत समेत दुनियाभर में भारतीयों की निगाहें इस ऐतिहासिक पल पर टिक गईं।

स्पेस से पहली लाइव बातचीत में शुभांशु शुक्ला ने पूरे भारत को नमस्ते कहा – “नमस्ते फ्रॉम स्पेस!” उन्होंने बताया कि जब वह कैप्सूल में बैठे थे, तो 30 दिन के क्वारंटाइन के बाद बस एक ही ख्याल था – अब उड़ान भरनी है। उन्होंने रॉकेट लॉन्चिंग के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि जैसे ही स्पेसक्राफ्ट ने उड़ान भरी, ऐसा लगा मानो कोई उन्हें पीछे से सीट में धकेल रहा हो। लेकिन कुछ ही पल बाद जब वैक्यूम की शांति में तैरने लगे, तो वह अनुभव अविस्मरणीय बन गया। हालांकि, लॉन्चिंग के तुरंत बाद उन्हें थोड़ी असहजता महसूस हुई थी, लेकिन बाद में वह इतनी गहरी नींद में सोए कि साथी अंतरिक्ष यात्रियों ने भी हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि वह एक बच्चे की तरह इस नए वातावरण में खुद को ढाल रहे हैं – चलना, खाना, खुद को नियंत्रित करना और नई-नई चीज़ें सीखना इस अनुभव का हिस्सा हैं।

उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहा कि “गलतियां करना ठीक है, लेकिन किसी और को गलती करते देखना और भी मजेदार होता है!” इससे यह भी साफ हुआ कि अंतरिक्ष में रहकर भी उनके अंदर उत्साह और हास्य की भावना बनी हुई है।

शुभांशु ने स्पेस से अपनी टीम, वैज्ञानिकों, भारत सरकार, और अपने परिवार व दोस्तों का तहे दिल से आभार जताया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उन सभी की सामूहिक उपलब्धि है, जिन्होंने इसे संभव बनाने में योगदान दिया।

शुभांशु के हाथ में एक सॉफ्ट टॉय ‘हंस’ था, जिसे उन्होंने भारतीय संस्कृति का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “यह प्यारा लग सकता है, लेकिन हमारे देश में हंस को बुद्धिमत्ता का प्रतीक माना जाता है। यह केवल संयोग नहीं, बल्कि एक बहुत गहरा सांस्कृतिक संदेश है जो हम विश्व को देना चाहते हैं।

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