जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
NEET-UG 2024 को लेकर देशभर में मचे घमासान के बीच अब इंदौर और उज्जैन के 75 स्टूडेंट्स के लिए दोबारा परीक्षा कराने के हाईकोर्ट के आदेश पर नया मोड़ आ गया है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) इस फैसले के खिलाफ अपील लेकर कोर्ट पहुंची है।
दरअसल, 4 मई को हुई NEET-UG परीक्षा के दौरान इंदौर और उज्जैन के कई एग्जाम सेंटरों पर बिजली गुल हो गई थी। छात्रों ने आरोप लगाया था कि बिजली कटौती के चलते उन्हें परीक्षा देने में गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इस आधार पर छात्रों ने इंदौर हाई कोर्ट का रुख किया और 3 जून से पहले याचिका दायर करने वाले 75 छात्रों के लिए दोबारा परीक्षा कराने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने छात्रों की दलील को गंभीर मानते हुए सोमवार को NTA को इन छात्रों के लिए रिएक्जाम आयोजित करने का आदेश दे दिया।
लेकिन अब इस आदेश पर ब्रेक लगाने NTA खुद मैदान में उतर आई है। मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान भारत सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता वर्चुअली कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि इस साल NEET UG में 22 लाख से अधिक छात्रों ने परीक्षा दी थी, जिसका परिणाम 14 जून को घोषित किया जा चुका है। ऐसे में केवल 75 छात्रों के लिए दोबारा परीक्षा कराना न केवल प्रशासनिक रूप से चुनौतीपूर्ण है, बल्कि इससे पूरे सिस्टम पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं।
NTA की ओर से कहा गया कि परीक्षा केंद्रों पर बिजली जाने की स्थिति से निपटने के लिए पावर बैकअप की पूरी व्यवस्था थी। लेकिन छात्रों की ओर से वकील मृदुल भटनागर ने इसका सीधा खंडन किया और कोर्ट को बताया कि खुद NTA के ऑब्जर्वर की रिपोर्ट में यह उल्लेख है कि कई केंद्रों पर न तो जनरेटर थे और न ही पर्याप्त रोशनी। उन्होंने उज्जैन के छह परीक्षा केंद्रों की स्थिति को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने की मांग की।
इससे पहले हाईकोर्ट के जज ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अनोखा कदम उठाया था। पिछली सुनवाई के दौरान जज ने खुद कोर्ट रूम की बिजली बंद करवाई और उस प्रश्नपत्र को पढ़ने की कोशिश की, जो छात्रों को अंधेरे में हल करना पड़ा था। जज ने अपने आदेश में कहा कि “छात्रों की कोई गलती नहीं थी, फिर भी उन्हें असुविधाजनक स्थिति में डाल दिया गया। ऐसे में उन्हें न्याय मिलना ही चाहिए।”
हालांकि, अब कोर्ट के सामने नई चुनौती यह है कि कई ऐसे छात्र भी हैं जिन्होंने 3 जून के बाद याचिका दायर की, लेकिन उन्हें रिएक्जाम का लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसे में उनकी दलीलों पर भी विचार जरूरी है। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई 10 जुलाई को तय की है।