मध्यप्रदेश में मानसून का कहर: जबलपुर-रीवा समेत 17 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट, भोपाल-इंदौर भी सतर्क!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश में मानसून इस बार अपनी पूरी रफ्तार में है। प्रदेश के पूर्वी हिस्से के जबलपुर, सागर, रीवा और शहडोल संभाग के 17 जिलों में गुरुवार को अति भारी और भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। वहीं ग्वालियर-चंबल संभाग के 4 जिलों समेत भोपाल, इंदौर और उज्जैन के इलाकों में भी यलो अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग के मुताबिक पन्ना, दमोह, मैहर और कटनी जैसे जिलों में अगले 24 घंटों में 8 इंच तक बारिश हो सकती है। इसके अलावा श्योपुर, शिवपुरी, भिंड, गुना, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, मंडला, डिंडौरी, अनूपपुर, उमरिया, सीधी, मऊगंज, रीवा और सतना में भी भारी बारिश की चेतावनी दी गई है।

प्रदेश के ऊपर से इस समय दो ट्रफ लाइन गुजर रही हैं, जिनमें एक सक्रिय मानसून ट्रफ भी है। वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने बताया कि इस सिस्टम के असर से अगले 4 दिनों तक पूरे मध्यप्रदेश में भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है। खासतौर पर 5 और 6 जुलाई को पूरे प्रदेश के जिलों में झमाझम बारिश होगी। इससे खेतों में पानी भरने लगेगा और तापमान में भी गिरावट आएगी।

बुधवार को भी प्रदेश के कई इलाकों में तेज आंधी के साथ जोरदार बारिश हुई। शिवपुरी, उज्जैन, रतलाम और नौगांव में आधा इंच तक बारिश दर्ज की गई। वहीं बड़वानी, मऊगंज, राजगढ़, नीमच, मंदसौर, शहडोल, भोपाल, दतिया, गुना, ग्वालियर, नर्मदापुरम, इंदौर, मंडला, सतना, सीधी, बालाघाट, शाजापुर, देवास, आगर-मालवा समेत 27 जिलों में दिनभर रुक-रुककर बारिश होती रही। भोपाल में तो कई इलाकों में जलभराव की स्थिति बन गई और बड़े तालाब में आधा फीट तक पानी का स्तर बढ़ गया। भोपाल के कोलार में एक मकान की दीवार गिर गई जबकि टीकमगढ़ में भी एक घर ढह गया। गनीमत रही कि कोई जनहानि नहीं हुई।

बारिश ने धार्मिक स्थलों की सुंदरता भी बढ़ा दी। रतलाम के सैलाना में बांसवाड़ा रोड स्थित केदारेश्वर महादेव मंदिर का झरना बह निकला और आसपास की पहाड़ियों पर हरियाली छा गई। वहां बहते झरने और नजारे पर्यटकों को अपनी ओर खींचने लगे।

बता दें, इस बार मानसून ने देश में तय समय से 8 दिन पहले ही दस्तक दे दी थी। महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में भी मानसून समय से पहले पहुंच गया था, जिससे उम्मीद की जा रही थी कि मध्यप्रदेश में जून के पहले सप्ताह में ही मानसून आ जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मानसून करीब 15 दिन तक महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ में ही ठहरा रहा। इसके बाद 13-14 जून को धीरे-धीरे आगे बढ़ा और मध्यप्रदेश में प्रवेश किया, जो कि तय तारीख 15 जून से सिर्फ एक दिन लेट था। खास बात यह रही कि महज 3 दिनों में ही मानसून ने प्रदेश के 53 जिलों को ढक लिया। इसके बाद थोड़ा ठहराव आया और फिर बचे हुए भिंड और मऊगंज जिले भी मानसून की जद में आ गए। इस तरह 5 दिनों में ही पूरा मध्यप्रदेश मानसून की चपेट में आ गया।

मौसम विभाग का कहना है कि इस साल जून की सामान्य बारिश का आंकड़ा मानसून पार कर सकता है। किसानों के लिए यह अच्छी खबर है, क्योंकि समय पर बुवाई और फसल की वृद्धि को भरपूर पानी मिलेगा। हालांकि, प्रशासन ने भी सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं, क्योंकि पुल-पुलियाओं के ऊपर से पानी बहने की खबरें लगातार मिल रही हैं। लोगों से अपील की गई है कि वे बारिश के दौरान नदियों, नालों के पास जाने से बचें और सुरक्षित स्थानों पर ही रहें।

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