जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
इंदौर से एक बेहद दिलचस्प और कहीं ना कहीं चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है। जहाँ एक ओर मध्यप्रदेश सरकार हर साल लाखों पौधे लगाने के दावे कर रही है, वहीं खुद सरकार के भीतर ही इसको लेकर गहरी नाराजगी देखने को मिली। दरअसल शुक्रवार को एक मंच पर जब कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सामने ही वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए, तब से प्रदेश की राजनीति में यह मामला चर्चा का विषय बन गया।
विजयवर्गीय ने मंच से कहा कि “हमें वन विभाग से सहयोग नहीं मिल रहा। पौधे समय पर नहीं मिल पा रहे, जबकि हम अब तक 7 लाख पौधे लगा चुके हैं।” यह सुनकर लोग भी हतप्रभ रह गए क्योंकि वन विभाग का दायित्व खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पास है।
इसी बयान के बाद वन विभाग हरकत में आया और शनिवार देर रात तक प्रेस नोट जारी कर सफाई देते हुए इंदौर में पौधारोपण के आंकड़े सार्वजनिक किए। विभाग ने बताया कि इस वर्ष इंदौर में कुल 6 लाख 84 हजार 900 पौधों के रोपण का लक्ष्य रखा गया है। अब तक करीब 4 लाख 13 हजार 600 पौधों का रोपण कार्य पूरा किया जा चुका है। वन विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके पास पर्याप्त संख्या में पौधे मौजूद हैं और इच्छुक लोगों, संस्थाओं व एनजीओ को रियायती दरों पर उच्च गुणवत्ता वाले पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं। साथ ही पौधे लगाने में तकनीकी मदद भी दी जा रही है।
वनमंडलाधिकारी ने बताया कि पिछले वर्ष के पौधारोपण लक्ष्य को अतिरिक्त रूट शूट रोपण के जरिए भी हासिल किया गया था, लेकिन उसकी जीवित रहने की दर कम पाई गई, इसलिए इस वर्ष रूट शूट रोपण बंद कर दिया गया है। इसके बजाय परंपरागत पौधों के रोपण पर ही ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
इंदौर में वन विभाग की डेमो रोपणी खंडवा रोड, रेसीडेंसी रोपणी, नवरतनबाग रोपणी, भेरुघाट, बड़गोंदा और किशनपुरा में शासकीय दरों पर बड़ी संख्या में पौधे उपलब्ध हैं। विभाग ने कहा कि इनके जरिए अधिक से अधिक लोग पौधे ले सकते हैं और इस महा अभियान का हिस्सा बन सकते हैं।
लेकिन मामला सिर्फ पौधारोपण तक सीमित नहीं रहा। कांग्रेस ने भी इसे हाथों-हाथ लपक लिया और सोशल मीडिया पर कैलाश विजयवर्गीय पर तंज कसते हुए ट्वीट किया —
“देखो देखो कौन आया, शेर आया शेर आया… के नारे से अगवानी करने वाले कैलाश विजयवर्गीय की जंगल का विभाग ही नहीं सुन रहा, और मंच से मांग करने के बाद भी मुख्यमंत्री नहीं सुन रहे! जूनियर के सीनियर हो जाने की पूरी कीमत विजयवर्गीय चुका रहे हैं। शेर को नए राजा ने पिंजरे में जकड़ दिया है!”
दरअसल वन विभाग का जिम्मा पहले रामनिवास रावत के पास था, जो कांग्रेस से बीजेपी में आए थे। लेकिन उपचुनाव में करारी हार के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद से वन मंत्रालय का जिम्मा सीधे मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने पास रखा हुआ है। ऐसे में विजयवर्गीय की नाराजगी कहीं ना कहीं सीएम की कार्यशैली पर भी परोक्ष टिप्पणी मानी जा रही है। इस पूरे घटनाक्रम ने प्रदेश की राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।