जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
राजधानी भोपाल से सोमवार को एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां स्टेट एनवायरनमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (SEIAA – सिया) के चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान का दफ्तर सुबह अचानक सील कर दिया गया। यह कार्रवाई प्रदेश के पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. नवनीत मोहन कोठारी के निर्देश पर की गई, हालांकि दोपहर 3:30 बजे दफ्तर को दोबारा खोल दिया गया और चेयरमैन खुद अपने चेंबर में पहुंचे। इस पूरे घटनाक्रम ने मध्यप्रदेश के प्रशासनिक और पर्यावरणीय हलकों में हलचल मचा दी है।
शिवनारायण सिंह चौहान का दावा है कि उन्होंने पर्यावरणीय अनुमतियों में हुए बड़े भ्रष्टाचार को उजागर किया था, इसी वजह से बदले की भावना से यह कदम उठाया गया। उन्होंने मुख्य सचिव को एक पत्र लिखकर प्रमुख सचिव पर्यावरण और एप्को (APCO) की डायरेक्टर एवं सिया सचिव उमा आर माहेश्वरी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की सिफारिश भी की है। पत्र में सीधा आरोप लगाया गया है कि 450 से ज्यादा मामलों में नियमों को दरकिनार कर पर्यावरणीय अनुमतियां जारी की गईं।
परमिशन देने का अधिकार नहीं फिर भी दिए आदेश
सिया के नियम स्पष्ट रूप से कहते हैं कि केवल सिया की कमेटी ही पर्यावरणीय स्वीकृति दे सकती है। यह अधिकार न तो किसी डायरेक्टर के पास है और न ही प्रमुख सचिव के पास। नियमों के अनुसार, अगर कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है और 5 साल की सजा तक का प्रावधान है।
शिवनारायण सिंह ने आरोप लगाया कि डॉ. नवनीत कोठारी और उमा आर माहेश्वरी ने बिना सिया कमेटी की बैठक बुलाए एकतरफा निर्णय लेते हुए 237 मामलों में मंजूरी दे दी, जबकि करीब 700 प्रकरण लंबित थे। यही नहीं, जिन परियोजनाओं को बिना दबाव के मंजूरी दी गई, वे पिक एंड चूज के आधार पर थीं, जबकि सिंहस्थ 2028 जैसी राज्य की प्राथमिकता वाली योजनाओं को जानबूझकर रोककर रखा गया।
खनन माफिया से मिलीभगत के आरोप
चेयरमैन द्वारा भेजे गए पत्र में यह भी दावा किया गया है कि पर्यावरणीय मंजूरियों के पीछे खनन माफिया की बड़ी भूमिका है। इन मंजूरियों में से 200 से अधिक केस सीधे खनिज क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। इस पूरे खेल को सरकारी आदेशों और सिया की प्रक्रिया को दरकिनार कर अंजाम दिया गया। आरोप लगाया गया कि यह सब सत्ता और प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए किया गया और नियमों का खुला उल्लंघन हुआ।
बैठकें नहीं बुलाई गईं, अनुमति जारी कर दी गई
चेयरमैन चौहान ने यह भी आरोप लगाया कि पिछले लंबे समय से सिया की बैठकें नहीं बुलाई गईं। नियमानुसार, किसी भी पर्यावरणीय अनुमति के लिए सिया की कमेटी की बैठक अनिवार्य होती है। लेकिन इन नियमों की अनदेखी कर, कुछ चुनिंदा परियोजनाओं को चुपचाप मंजूरी दे दी गई। ऐसे में चेयरमैन को दरकिनार कर स्वीकृतियां दी गईं, जो स्पष्ट रूप से सिया के दायरे से बाहर की कार्रवाई है।
एफआईआर की मांग और कार्रवाई की उलझन
सिया चेयरमैन ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र में सिफारिश की है कि प्रमुख सचिव डॉ. नवनीत कोठारी और एप्को डायरेक्टर उमा आर माहेश्वरी पर आपराधिक केस दर्ज किया जाए। उन्होंने बताया कि यह सिर्फ एक प्रशासनिक गलती नहीं, बल्कि कानूनी रूप से दंडनीय अपराध है। यह मामला सीधे तौर पर पर्यावरणीय पारदर्शिता, सरकारी नियमों और जनता के हितों से जुड़ा है।
इधर, प्रमुख सचिव कोठारी ने इस पूरे विवाद पर अभी तक कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। दफ्तर सील किए जाने और दोबारा खोलने की प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में है। क्या ये एक सामान्य प्रशासनिक कार्रवाई थी या फिर भ्रष्टाचार उजागर करने वाले एक अधिकारी को चुप कराने का प्रयास? यह अब बड़ा सवाल बन गया है।