जबलपुर: सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे पर शराब दुकानों में मारपीट और धमकाने के गंभीर आरोप, सीसीटीवी फुटेज से खुला राज!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

जबलपुर में आबकारी विभाग एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गया है। सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे पर आरोप है कि उन्होंने शहर की चार शराब दुकानों में घुसकर कर्मचारियों के साथ मारपीट की, उन्हें धमकाया और जबरन दुकानें सरेंडर करने का दबाव बनाया। यह चारों दुकानें ठेकेदार अजय सिंह बघेल की हैं, जिन्होंने इस पूरी घटना की लिखित शिकायत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा और वाणिज्यकर विभाग के प्रमुख सचिव से की है।

घटना 17 जुलाई की है, जब संजीव दुबे कुछ कर्मचारियों के साथ शराब दुकानों पर पहुंचे। सबसे पहले वे बरेला दुकान गए, जहां उन्होंने गद्दीदार उपेंद्र मिश्रा से मालिक के बारे में पूछा। जब वह चुप रहा, तो दुबे ने उसे लात-घूंसे मारे। मारपीट दुकान के बाहर तक पहुंची, जहाँ और भी कर्मचारियों को पीटा गया। इसके बाद उन्होंने धनपुरी, बरेला नंबर 2 और पड़वार स्थित दुकानों पर भी यही कार्रवाई की। आरोप है कि उन्होंने वहाँ मौजूद सेल्समैन अमर गुप्ता के साथ भी मारपीट की और दुकान में लगे सीसीटीवी की डीवीआर जबरन निकालकर ले गए

इस पूरी घटना के दौरान दुबे का रवैया बेहद आक्रामक बताया गया। उन्होंने कर्मचारियों से कहा, “मालिक से कहना कि दुकानें सरेंडर कर दे, नहीं तो बर्बाद कर दूंगा। जिले में दुकान नहीं चलने दूंगा। 34(2) के तहत केस बना दूंगा और सबको जेल भिजवा दूंगा।” मारपीट और धमकी के बाद चारों दुकानों के सेल्समैन डर के कारण काम छोड़कर चले गए, जिससे दुकानों की बिक्री रुक गई और संचालन मुश्किल हो गया है।

ठेकेदार अजय सिंह बघेल ने बताया कि वे बरेला मदिरा समूह के लाइसेंसधारी हैं और सभी लाइसेंस फीस समय पर भरते आए हैं। बावजूद इसके संजीव दुबे लगातार छोटे ठेकेदारों को परेशान कर रहे हैं और अवैध वसूली का दबाव बना रहे हैं। अजय सिंह ने कहा, “अब कर्मचारी वापस नहीं आए, तो दुकानें बंद करनी पड़ेंगी और लाइसेंस निरस्त होने का खतरा है। अगर ऐसा हुआ तो इसकी जिम्मेदारी सिर्फ संजीव दुबे की होगी। जरूरत पड़ी तो हमें न्यायालय की शरण लेनी पड़ेगी।”

इस पूरे मामले में सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है, जिससे साफ हो रहा है कि मारपीट हुई है। इस फुटेज के सार्वजनिक होने के बाद प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं।

इस विषय पर आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल का कहना है कि मामला उनकी जानकारी में नहीं है। “अगर शिकायत हुई है तो पुलिस जांच करेगी, विभाग का इससे कोई लेना-देना नहीं है।” आबकारी विभाग ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया है।

हालांकि, संजीव दुबे ने अपने कार्यालय के बाहर एक पोस्टर चिपकाया है, जिसमें लिखा है कि मीडिया को विभागीय जानकारी के लिए सहायक जिला आबकारी अधिकारी दृगचंद चतुर्वेदी से संपर्क करना चाहिए। यह कदम खुद संजीव दुबे की भूमिका पर और सवाल खड़े करता है।

यह पहली बार नहीं है जब संजीव दुबे विवादों में आए हैं। इंदौर में ट्रेजरी चालानों में हेराफेरी कर 40 करोड़ रुपये के आबकारी घोटाले में उनका नाम जुड़ चुका है। वहीं, भोपाल में शराब के अवैध परिवहन की शिकायतों को लेकर भी वे जांच के घेरे में थे। जबलपुर में उनकी पोस्टिंग को अभी एक साल भी नहीं हुआ, लेकिन यहाँ भी उनका रवैया विवादों की वजह बन रहा है।

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