जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश में मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक छात्रों के लिए साल 2025 एक मिश्रित अनुभव लेकर आया है। जहां एक ओर सरकारी मेडिकल कॉलेजों में MBBS सीटों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, वहीं दूसरी ओर निजी संस्थानों को नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) के मानकों के आधार पर बड़ी सज़ा झेलनी पड़ी है। इस वर्ष प्रदेश में कुल 150 सीटों की कमी आई है—जिसमें MBBS की 100 और BDS की 50 सीटें शामिल हैं। इसका मतलब है कि 2025 में डॉक्टर बनने की शुरुआत करने वाले 150 छात्र कम होंगे।
सरकारी कॉलेजों की चमक बढ़ी, छात्रों को राहत
राज्य सरकार द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेजों में इस साल 150 MBBS सीटें बढ़ाई गई हैं। 2024 में जहां 2,425 सीटें थीं, वहीं 2025 में यह संख्या बढ़कर 2,575 हो गई है। सबसे ज्यादा लाभ मंदसौर, सिवनी और नीमच जैसे जिलों को मिला है, जहां नए मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या 50 से बढ़ाकर 100 की गई है। यह बढ़ोतरी उन छात्रों के लिए राहत भरी खबर है जो सीमित आर्थिक संसाधनों के साथ डॉक्टर बनने का सपना देख रहे हैं।
निजी कॉलेजों पर गिरी गाज: इंदौर का इंडेक्स कॉलेज ‘जीरो ईयर’ में
वहीं दूसरी ओर, निजी कॉलेजों के लिए यह साल किसी झटके से कम नहीं रहा। 2024 में प्रदेश में निजी MBBS सीटों की संख्या 2,450 थी, जो अब घटकर 2,200 रह गई है। इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज को NMC की ओर से तगड़ा झटका मिला है—कॉलेज की सारी 250 सीटें रद्द कर दी गई हैं और यह साल उसके लिए ‘जीरो ईयर’ घोषित कर दिया गया है।
इसके अलावा एलएनसीटी मेडिकल कॉलेज और सेवा कुंज अस्पताल की भी 50 सीटें घटा दी गई हैं। हालांकि कुछ राहत की बात यह है कि सीहोर के श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मेडिकल साइंसेस में 50 नई MBBS सीटें बढ़ाई गई हैं।
BDS सीटों में भी गिरावट, ग्वालियर का कॉलेज प्रभावित
BDS यानि डेंटल स्टडीज में भी हल्का उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। वर्ष 2024 में जहां 1,283 सीटें थीं, 2025 में यह घटकर 1,233 रह गईं। सबसे बड़ा असर ग्वालियर के महाराणा प्रताप डेंटल कॉलेज पर पड़ा है, जहां 100 से सीटें घटाकर 50 कर दी गई हैं।
आरक्षण व्यवस्था यथावत, सरकारी और निजी कॉलेजों में समान फार्मूला
आरक्षण की बात करें तो सरकारी मेडिकल कॉलेजों की 1,817 सीटों पर स्टेट कोटे के तहत पुराने फॉर्मूले को बरकरार रखा गया है—जिसमें 40% अनारक्षित, 20% अनुसूचित जनजाति (ST), 16% अनुसूचित जाति (SC), 14% अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और 10% आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) कोटा लागू है।
वहीं, निजी मेडिकल कॉलेजों की 42% स्टेट कोटे की सीटों पर भी यही आरक्षण व्यवस्था लागू होगी। बाकी 58% सीटें प्रबंधन कोटे के तहत आती हैं, जिन पर कोई आरक्षण लागू नहीं होता।
क्या कहता है मेडिकल एजुकेशन विभाग?
चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जो प्रारंभिक सीट चार्ट जारी किया है, वह अंतिम नहीं है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि इस पर आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित किए गए हैं, जिसके बाद फाइनल सीट चार्ट जल्द जारी किया जाएगा।
इस साल सीटों में आए इस बदलाव से स्पष्ट है कि सरकार ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों को सशक्त करने की दिशा में गंभीर प्रयास किए हैं, जबकि निजी संस्थानों के लिए कड़े मापदंड अपनाकर गुणवत्ता सुनिश्चित करने का संकेत भी दिया है।