जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश में खाद वितरण को लेकर लगातार विवाद और किसानों के गुस्से के बीच मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कड़ा रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि जिन जिलों में खाद वितरण की स्थिति नियंत्रण से बाहर हो रही है और किसान नाराज़गी जताने को मजबूर हैं, वहां के कलेक्टरों को जवाबदेह माना जाएगा। उन्होंने यहां तक चेतावनी दी कि यदि व्यवस्था नहीं सुधरी, तो ऐसे अधिकारियों को हटाने का निर्णय लिया जाएगा।
रीवा की घटना बनी कारण
रीवा जिले में मंगलवार देर रात करहिया मंडी में खाद को लेकर किसानों का आक्रोश फूटा और पुलिस द्वारा लाठीचार्ज की नौबत आ गई। कई किसान घायल हुए और माहौल तनावपूर्ण हो गया। इस घटना के बाद मुख्यमंत्री ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि यदि खाद वितरण सही तरीके से नहीं हो रहा है तो इसका सीधा मतलब है कि जिला प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में समीक्षा
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मंगलवार रात को मुख्यमंत्री निवास से प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टरों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की। इस बैठक में न सिर्फ खाद वितरण की स्थिति की समीक्षा की गई, बल्कि बाढ़ और अतिवृष्टि प्रभावित क्षेत्रों में चल रहे राहत कार्यों पर भी चर्चा हुई। सीएम ने कहा कि राज्य सरकार हर स्थिति में किसानों के साथ खड़ी है और किसी भी कीमत पर अन्नदाताओं को परेशानी नहीं होनी चाहिए।
किसानों को समय पर सूचना देने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए कि खाद की रैक आने से कम से कम तीन दिन पहले किसानों को सूचना दी जाए। इसके लिए प्रचार-प्रसार, किसान संगठनों और स्थानीय सूचना तंत्र का सहारा लिया जाए। उन्होंने कहा कि यदि किसान सही दिन और समय पर मंडी पहुंचेंगे तो अनावश्यक भीड़ और अव्यवस्था से बचा जा सकेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खाद वितरण की पूरी प्रक्रिया में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए। इससे किसानों का भरोसा बढ़ेगा और अफवाहों पर रोक लगेगी। साथ ही, जिलों में उपलब्ध उर्वरक के स्टॉक की जानकारी जनप्रतिनिधियों और किसान संगठनों से साझा करने के निर्देश दिए गए।
मुख्यमंत्री ने जिलों के कलेक्टरों से कहा कि उर्वरक उपलब्धता की सघन समीक्षा की जाए और स्टॉक की स्थिति का समय-समय पर सत्यापन किया जाए। सहकारी समितियों, डबल लॉक व्यवस्था और निजी खाद बिक्री केंद्रों पर आकस्मिक निरीक्षण और मॉनिटरिंग अनिवार्य रूप से होनी चाहिए, ताकि कालाबाजारी और अव्यवस्था पर लगाम लग सके।
बैठक में मुख्यमंत्री ने अतिवृष्टि और बाढ़ से प्रभावित किसानों को लेकर भी अहम निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में फसलें नष्ट हुई हैं या जनहानि-पशुहानि हुई है, वहां 24 घंटे के भीतर राहत राशि उपलब्ध कराई जाए। साथ ही जिन किसानों के नाम सर्वे में छूट गए हैं, उनका त्वरित सर्वे कर उन्हें भी राहत राशि देने के निर्देश दिए।