मध्यप्रदेश कांग्रेस में संगठन सृजन अभियान, जिलाध्यक्षों की नियुक्तियों पर नेताओं की नाराजगी जारी: हरीश चौधरी का बयान: नियुक्तियों का उद्देश्य केवल पद नहीं, बल्कि पार्टी का हर स्तर पर मजबूत संगठन बनाना!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश कांग्रेस में संगठन सृजन अभियान के तहत जिलाध्यक्षों की नियुक्तियों को लेकर पार्टी में कुछ नेताओं की नाराजगी थम नहीं रही है। हाल ही में पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी पर गुटबाजी के आरोप लगाते हुए कहा था कि पार्टी का काम संगठन बनाना है, खुद का संगठन नहीं। उनके इस बयान की प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने भी पुष्टि की और कहा कि पार्टी के हर स्तर पर सामंजस्य बनाए रखना प्राथमिकता है।

कांग्रेस संगठन सृजन अभियान के तहत जिले से लेकर बूथ स्तर तक टीमों का निर्माण किया जा रहा है। हरीश चौधरी ने बताया कि संगठन सृजन केवल जिलाध्यक्ष की नियुक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि ब्लॉक, मंडल और ग्राम पंचायत स्तर तक संगठन बनाने का व्यापक प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिला कार्यकारिणी और अन्य सभी टीमों का गठन एक सुनियोजित प्रक्रिया के तहत किया जा रहा है। इसके लिए विभिन्न माध्यमों का उपयोग किया गया, जिसमें ऑब्जर्वर्स और अन्य सलाहकार शामिल थे, ताकि सही और सक्षम लोगों का चयन सुनिश्चित किया जा सके।

जिलाध्यक्षों के चयन के दौरान बड़ी सोच यह रही कि पार्टी की लड़ाई लोगों के बीच लड़ी जाए। हरीश चौधरी ने स्पष्ट किया कि बड़े पदों पर कार्यरत और काबिल नेताओं ने मोर्चों पर आगे आकर लड़ाई लड़ी और इसी सोच के तहत उन्हें इस अभियान में शामिल किया गया। पार्टी नेतृत्व ने बड़े नेताओं की सहमति से निर्णय लिए ताकि संगठन मजबूत और सामंजस्यपूर्ण बने।

उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान परिस्थिति में कांग्रेस को लोकतंत्र, संविधान और संवैधानिक संस्थाओं की रक्षा के लिए व्यापक संघर्ष करना पड़ रहा है। इसके उदाहरण के रूप में उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा का जिक्र किया, जो उस समय आयोजित की गई जब पार्टी की आवाज संसद और मीडिया के माध्यम से दबाई जा रही थी। इस अभियान के माध्यम से पार्टी ने सीधे जनता तक अपनी बात पहुंचाई और संगठन को सक्रिय रखा।

हरीश चौधरी ने कहा कि संगठन सृजन अभियान का उद्देश्य केवल पदों का वितरण नहीं है, बल्कि पार्टी के हर स्तर पर मजबूत और निष्पक्ष टीम का निर्माण करना है। इस प्रक्रिया में किसी भी तरह की समय-सीमा को बाध्यकारी नहीं माना गया है। प्राथमिकता यह है कि नियुक्ति और संगठन निर्माण प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और सामंजस्य बना रहे।

जिलाध्यक्षों की नियुक्तियों के संदर्भ में यह भी स्पष्ट किया गया कि अभी तक ऐसा कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया गया है कि ये नेता चुनाव नहीं लड़ेंगे। पार्टी की प्राथमिकता संगठन को मजबूत करना और जनता तक अपनी पहुंच बनाना है।

इसके अलावा, हरीश चौधरी ने विपक्षी नीतियों और जीएसटी सुधारों पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जनता के हित में हुई गलत नीतियों और फैसलों की जानकारी आम लोगों तक पहुंचाना संगठन का काम है। इसी तर्ज पर पार्टी ने मध्यप्रदेश में वोट चोरी के मुद्दे को लेकर अभियान शुरू किया है। उनका कहना था कि चुनाव आयोग की नियुक्तियों और कुछ कानूनों में हुए बदलाव ने संविधान और लोकतंत्र की मूल भावना को प्रभावित किया, और कांग्रेस जनता को इसके प्रति जागरूक करने का प्रयास कर रही है।

पुरी तरह से देखा जाए तो संगठन सृजन अभियान कांग्रेस के लिए सिर्फ जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं, बल्कि पार्टी को मजबूत करना, स्थानीय स्तर तक सक्रिय करना और लोकतंत्र की रक्षा के लिए तैयार करना है। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि सबको साथ लेकर चलने और सामंजस्य बनाए रखने से ही संगठन मजबूत होगा और आने वाले समय में चुनाव और जनसंपर्क दोनों ही क्षेत्रों में सफलता मिलेगी।

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