जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ कफ सिरप कांड का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। बुधवार को डिप्टी सीएम एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कलेक्ट्रेट में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें दवाइयों की टेस्टिंग और स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर चर्चा हुई। बैठक के दौरान ड्रग इंस्पेक्टर ने टेस्टिंग में आ रही खामियों का ज़िक्र किया, लेकिन इसी बीच मंत्री ने अपने स्टाफ को रिपोर्टर के कैमरा बंद कराने का आदेश दे दिया, जो इस बैठक की एक चर्चा का केंद्र बन गया।
ड्रग इंस्पेक्टर की शिकायत और मंत्री की प्रतिक्रिया
बैठक में ड्रग इंस्पेक्टर ने कहा कि भोपाल की लैब में माइक्रो लेवल टेस्टिंग संभव नहीं हो पा रही है और जांच में भी समय लग रहा है। स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने इस पर सवाल किया कि क्या यह समस्या भोपाल की लैब की है या स्थानीय लैब की। जब ड्रग इंस्पेक्टर ने जवाब दिया कि यह भोपाल लैब में है, तो मंत्री ने इशारा करते हुए अपने स्टाफ को कैमरा बंद करने का निर्देश दे दिया।
डॉक्टरों से आग्रह — हड़ताल को स्थगित करें
स्वास्थ्य मंत्री ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के पदाधिकारियों से भी मुलाकात की, जिन्होंने अनिश्चितकालीन हड़ताल का एलान किया था। मंत्री ने डॉक्टरों से अनुरोध किया कि इस गंभीर स्थिति में हड़ताल का समय सही नहीं है, क्योंकि इससे मरीजों की जिंदगी प्रभावित होगी और डॉक्टरों की साख पर असर पड़ेगा। IMA की जिला अध्यक्ष डॉ. अल्पना शुक्ला ने कहा कि मंत्री के आग्रह पर कार्यकारिणी की बैठक में इस मुद्दे पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
जिला औषधि विक्रेता संघ के अध्यक्ष संतोष चौरे ने कहा कि प्रशासन द्वारा सभी तरह के कफ सिरप की बिक्री पर रोक के दबाव से उन्हें मरीजों को वैकल्पिक सिरप देने में समस्या आ रही है। उन्होंने स्पष्ट गाइडलाइन की मांग की, ताकि दुकानदार मरीजों को उचित दवा उपलब्ध करवा सकें।
नागपुर में बच्चों से मुलाकात और मृतकों की संख्या
इस बैठक से पहले मंगलवार देर रात स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल नागपुर पहुंचे थे। उन्होंने GMC, एम्स और न्यू हेल्थ सिटी हॉस्पिटल में भर्ती बीमार बच्चों से मुलाकात की और पीड़ित परिवारों को ढांढस बंधाया। उन्होंने कहा कि इलाज का पूरा खर्च सरकार उठाएगी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव स्वयं इस मामले पर नजर रख रहे हैं।
हाल ही में इस कांड में 3 साल के वेदांत काकुड़िया और 2 साल की जयुषा यदुवंशी की मौत हुई है। इस दुखद घटना के साथ प्रदेश में कोल्ड्रिफ सिरप से मरने वाले बच्चों की संख्या अब 20 तक पहुंच गई है।
किस तरह बन रहा है यह मामला बड़ा मुद्दा
कोल्ड्रिफ सिरप कांड न केवल स्वास्थ्य व्यवस्था में बड़ी खामियों को उजागर करता है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि प्रशासन कितनी गंभीरता से बच्चों की सुरक्षा और दवाओं की गुणवत्ता पर नजर रख रहा है। छिंदवाड़ा में हुई यह बैठक इसी संदर्भ में एक अहम मोड़ साबित हुई है, जिसमें स्वास्थ्य मंत्री के रवैये और कैमरे बंद करने के आदेश ने पत्रकारिता और पारदर्शिता के मुद्दे को भी सामने ला दिया है।