जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
श्रावण माह में जब भोलेनाथ के जयकारे गूंजते हैं, तभी उत्तर में हिमालय की गोद में बसी अमरनाथ गुफा के लिए लाखों श्रद्धालुओं का कारवां भी उमड़ पड़ता है। इस वर्ष 3 जुलाई से शुरू हुई पवित्र अमरनाथ यात्रा अब तक हजारों श्रद्धालुओं की आस्था, भक्ति और दृढ़ निश्चय की गवाही दे रही है। यात्रा के दसवें दिन तक करीब 1.83 लाख श्रद्धालु भगवान अमरनाथ के हिम शिवलिंग के दर्शन कर चुके हैं।
रविवार को जहां सुबह जम्मू से 7,049 श्रद्धालुओं का 12वां जत्था भगवती नगर बेस कैंप से रवाना हुआ, वहीं इसी दिन यात्रा मार्ग पर कुलगाम के ताचलू क्रॉसिंग पर श्रद्धालुओं की तीन बसों की आपस में भिड़ंत हो गई। इस हादसे में 10 से अधिक लोग घायल हुए। राहत की बात रही कि कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ और सभी घायलों का उपचार तुरंत किया गया।
इधर, जम्मू से शुरू होने वाली इस पावन यात्रा के पहले दिन 12,348 श्रद्धालु, दूसरे दिन 14,515, तीसरे दिन 21,109, चौथे दिन 21,512, और पाँचवें दिन 23,857 श्रद्धालु दर्शन कर चुके थे। अब तक चार लाख से ज्यादा लोगों ने इस यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन भी करा लिया है।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था इस बार और भी मजबूत की गई है। यात्रा मार्ग पर 581 कंपनियों के सुरक्षाबल तैनात हैं, जिनमें CRPF, BSF, SSB, ITBP, CISF और स्थानीय पुलिस बल शामिल हैं। हर 50 मीटर पर एक जवान तैनात है। बालटाल से लेकर गुफा तक हर दो किलोमीटर पर मेडिकल कैंप, आपातकालीन सहायता केंद्र और आवश्यक भंडारण केंद्र बनाए गए हैं। इस बार विशेष बात यह भी है कि पैदल यात्रियों, घोड़ों व पालकी वालों के रास्ते अलग-अलग बनाए गए हैं, जिससे यातायात सुव्यवस्थित रहे और किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।
मुंबई से आए तीर्थयात्री प्रसाद ठाकुर ने बताया कि इस बार रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया बहुत सरल हो गई है। जिनका रजिस्ट्रेशन पहले नहीं हुआ था, उनका भी वहीं जल्दी कर दिया गया। उन्होंने कहा कि भंडारे का खाना स्वादिष्ट है, शौचालय से लेकर रुकने तक की सारी व्यवस्थाएं उत्तम हैं।
यात्रा के दो मुख्य मार्ग हैं — बालटाल और पहलगाम।
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बालटाल रूट अपेक्षाकृत छोटा और सीधा है। धार्मिक आस्था को जल्दी से पूरा करने के लिए यह मार्ग उत्तम है।
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वहीं, पहलगाम रूट प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन यह ज्यादा कठिन और थकाऊ भी है। भास्कर की टीम ने बताया कि पहलगाम रूट पर 48 किलोमीटर लंबे जर्जर रास्ते में कहीं रेलिंग गायब है, कहीं संकरे पथरीले रास्ते हैं। फिर भी पंचतरणी से लेकर गणेश टॉप और पिस्सू टॉप तक हर जगह जवानों की मुस्तैदी श्रद्धालुओं को भरोसा देती है।
इस बार सुरक्षा अभूतपूर्व है। गुफा से चंदनबाड़ी तक जगह-जगह जवान, डॉग स्क्वॉड और CCTV नजर रख रहे हैं। बुग्यालों में भी सेना की तैनाती यात्रा को पूरी तरह सुरक्षित बनाए हुए है।