इंदौर के बाद जबलपुर में अस्पताल की बड़ी लापरवाही: मानसिक रोग विभाग में भर्ती 2 मरीजों के पैर चूहों ने कुतरे, परिजन भड़के; डीन बोले- जांच के आदेश दिए!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश में सरकारी अस्पतालों में लापरवाही की घटनाएँ थमने का नाम नहीं ले रही हैं। इंदौर के एमवाय अस्पताल में नवजात बच्चों की मौत के बाद अब जबलपुर स्थित नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में गंभीर मामला सामने आया है। यहां मानसिक रोग विभाग में भर्ती दो मरीजों के पैर चूहों ने काट लिए। घटना के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं।

कैसे हुई घटना?

सूत्रों के अनुसार, फिलहाल मानसिक रोग विभाग की बिल्डिंग में रेनोवेशन का काम चल रहा है, जिसके चलते विभाग का संचालन अस्थि रोग विभाग के भवन से किया जा रहा है। यही पर प्रथम तल स्थित वार्ड में यह घटना घटी।

परिजनों का कहना है कि वार्ड में पहले भी कई बार चूहों की समस्या की शिकायत की गई थी, लेकिन प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया। मरीजों ने बताया कि वार्ड में न केवल रात में बल्कि दिन में भी बड़े-बड़े चूहे घूमते रहते हैं।

केस-1: युवती को लगे तीन इंजेक्शन

पहला मामला सिहोरा निवासी 25 वर्षीय रजनी यादव का है। उन्हें सिरदर्द की समस्या के कारण भर्ती किया गया था। 9 सितंबर की रात चूहे ने उनके दोनों पैरों की एड़ियों को काट लिया। पैर में गहरे निशान पड़ गए। डॉक्टर को बताने पर उन्हें तीन इंजेक्शन लगाए गए और फिर शनिवार को डिस्चार्ज कर दिया गया।

केस-2: महिला की एड़ी पर हमला

दूसरी पीड़ित नरसिंहपुर जिले की 50 वर्षीय सरोज मेहरा हैं। उनके बेटे जगदीश मेहरा ने बताया कि भर्ती के दो दिन बाद ही चूहों ने उनकी मां की एड़ी काट ली। इसके अगले दिन चूहों ने फिर से हमला किया। जगदीश ने दावा किया कि वह उसी वार्ड में जमीन पर सो रहे थे और चूहे ने उनके पैर भी काट लिए। नर्स को जानकारी देने पर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

डॉक्टरों की भूमिका पर सवाल

परिजनों का आरोप है कि मरीजों की शिकायत पर मौजूद डॉक्टरों ने सिर्फ इंजेक्शन लगवाने की सलाह दी, लेकिन वार्ड में चूहों से निपटने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए। इस लापरवाही के चलते दूसरा मरीज भी चूहों का शिकार बन गया।

डीन ने दिए जांच के आदेश

मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. नवनीत सक्सेना ने मामले की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि घटना की जानकारी मिलने के तुरंत बाद विभागाध्यक्ष और अधीक्षक को जांच के आदेश दिए गए। साथ ही पेस्ट कंट्रोल कंपनी को चूहों पर नियंत्रण के लिए कड़े निर्देश दिए गए हैं।

निरीक्षण के दौरान वार्ड में पहले से पेस्ट कंट्रोल की गोलियां, प्लेट और अन्य सामग्री रखी मिलीं, लेकिन इसके बावजूद चूहों पर नियंत्रण नहीं हो पाया। डीन का कहना है कि जिन मरीजों को चूहों ने काटा है, उन्हें इलाज दिया गया है और फिलहाल दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं।

इंदौर घटना के बाद भी सतर्कता पर सवाल

गौरतलब है कि हाल ही में इंदौर के एमवाय अस्पताल में चूहों के काटने से दो नवजात शिशुओं की मौत हो गई थी। उस मामले पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए सरकार से रिपोर्ट मांगी थी। इसके बावजूद जबलपुर मेडिकल कॉलेज में ऐसी घटना होना प्रशासनिक व्यवस्था और अस्पतालों की सफाई प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

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