जावरा में अमोनिया गैस लीकेज से मचा कोहराम, बड़ी दुर्घटना टली: पुलिस लाइन तक पहुंचा असर, प्रशासन ने समय रहते पाया काबू; बिना लाइसेंस और बिना किसी वैध अनुमति के चल रही थी फैक्ट्री

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

रतलाम ज़िले के जावरा शहर में मंगलवार रात एक ऐसा हादसा हुआ, जिसने पूरे शहर को दहशत में डाल दिया। आंटिया चौराहे पर स्थित पोरवाल आइस फैक्ट्री से अचानक अमोनिया गैस का रिसाव होने लगा। फैक्ट्री के टैंक में लीकेज से ज़हरीली गैस हवा में फैलने लगी और वहां काम कर रहे मजदूरों ने जैसे ही जलन और बदबू महसूस की, घबराकर जान बचाकर भाग निकले। लेकिन यह हादसा सिर्फ फैक्ट्री तक सीमित नहीं रहा—इसका असर फैक्ट्री के ठीक पीछे बनी पुलिस लाइन तक पहुंच गया, जहां सीएसपी दुर्गेश आर्मो अपने घर के बाहर टहल रहे थे।

सीएसपी को जैसे ही आंखों में जलन और सांस में तकलीफ़ हुई, उन्होंने तुरंत खतरे को भांप लिया। कुछ ही देर में उनके माता-पिता और छोटे भाई को भी गैस का असर महसूस हुआ, जिन्हें तुरंत अस्पताल भिजवाया गया । आनन-फानन में उन्होंने सबसे पहले पुलिस लाइन में रह रहे 28 से अधिक परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कराया। सरकारी गाड़ियों से आसपास के खारीवाल मोहल्ला और अन्य क्षेत्रों में मुनादी कराई गई, लोगों से घर खाली करने और सतर्क रहने की अपील की गई।

घटना की गंभीरता को देखते हुए जिला पुलिस अधीक्षक अमित कुमार खुद मौके पर पहुंचे। उनके साथ जावरा एसडीएम त्रिलोचन गौड़, एसडीओपी संदीप मालवीय, थाना प्रभारी जितेंद्र जादौन और अन्य अधिकारी भी पहुंचे। फायर ब्रिगेड को तुरंत बुलाया गया और टैंक पर पानी का छिड़काव शुरू हुआ। अधिकारियों ने मास्क पहनकर रिसाव स्थल का निरीक्षण किया और फैक्ट्री संचालक सहित मजदूरों से पूछताछ की। रात करीब 12:30 बजे तक बचाव व राहत कार्य चलता रहा।

गंभीर बात यह रही कि जब बुधवार सुबह उज्जैन से मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम मौके पर पहुंची और दस्तावेजों की मांग की गई, तो सामने आया कि यह फैक्ट्री न केवल बिना लाइसेंस बल्कि बिना किसी वैध अनुमति के अवैध रूप से संचालित हो रही थी। न तो पर्यावरण विभाग की कोई स्वीकृति थी, न ही सुरक्षा मानकों का पालन किया गया था। टीम में मौजूद वैज्ञानिक हरिशंकर शर्मा और देवेंद्र सोलंकी ने पूरी फैक्ट्री का पंचनामा तैयार किया और आगे की जांच शुरू की गई।

सीएसपी दुर्गेश आर्मो ने घटना को याद करते हुए बताया कि जब उन्हें जलन महसूस हुई, तो शुरुआत में लगा कि पास ही कहीं कुछ जल रहा है, लेकिन कुछ ही देर में छोटे भाई का फोन आया कि माता-पिता की आंखों में भी जलन हो रही है। तभी उन्हें समझ आया कि यह कोई गैस है, जो वातावरण में फैल रही है। मौके पर पहुंचने पर उन्होंने देखा कि फैक्ट्री के पास मजदूर बैठे हैं, लेकिन हवा विपरीत दिशा में होने के कारण उन पर कोई खास असर नहीं दिखा। फिर भी उन्हें हटाया गया और रिसाव बंद कराया गया।

एसडीएम त्रिलोचन गौड़ ने बताया कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए 4 से 5 फायर ब्रिगेड की मदद से फैक्ट्री व आसपास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पानी का छिड़काव कराया गया। साथ ही, एम्बुलेंस और चिकित्सा सुविधाएं तुरंत मौके पर पहुंचाई गईं। राहत की बात यह रही कि इस घटना में किसी की जान नहीं गई, लेकिन अगर समय रहते सतर्कता नहीं बरती जाती, तो यह एक बड़ी त्रासदी में बदल सकती थी। उन्होंने बताया कुछ मजदूरों की आंखों में जलन की शिकायत हुई थी, लेकिन कोई गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ। पूरे क्षेत्र में 4 से 5 फायर ब्रिगेड की मदद से पानी का छिड़काव किया गया जिससे गैस का असर खत्म हो सके।

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