इंदौर में अनंत चतुर्दशी का जलवा: 102 साल पुरानी परंपरा ने जगाई पूरी रात, लाखों की भीड़ ने देखा भव्य नजारा; 3500 जवान रहे सुरक्षा में तैनात!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

अनंत चतुर्दशी पर इंदौर ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जब परंपरा और आस्था साथ मिलती है तो पूरा शहर जग उठता है। शनिवार की रात इंदौर की सड़कों पर ऐसा नज़ारा दिखा, जिसे देखने लाखों लोग उमड़ पड़े। रातभर चली झांकियों की भव्य परेड ने शहर को रोशन कर दिया और इसी के साथ इंदौर की झांकियों ने अपने गौरवशाली सफर का 102वां साल भी पूरा कर लिया।

करीब 6 किलोमीटर लंबे मार्ग पर सजी-धजी झांकियों ने 12 घंटे में अपना सफर तय किया। जगह-जगह घरों की छतों से फूल बरसे, गलियों में ढोल-ढमाकों की गूंज सुनाई दी और महिलाओं, बच्चों व बुजुर्गों का उत्साह देखते ही बनता था। अंदाजा लगाइए, इस भव्य आयोजन को देखने डेढ़ से दो लाख लोग जुटे थे, जिनमें से कई तो दूसरे शहरों से भी खासतौर पर आए थे।

चल समारोह के दौरान एक अलग ही रंग देखने को मिला। प्रदेश सरकार के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने खुद मंच संभाला और भजनों व देशभक्ति गीतों की स्वर लहरियां बिखेरीं। वहीं, युवा टोली गरबा करती नजर आई। अखाड़ों के कलाकारों ने भी छोटे बच्चों और युवतियों के करतब से दर्शकों का दिल जीत लिया।

झांकियों का जादू – भगवान से लेकर सेना तक का संदेश

इस बार 6 मिलों की 16 झांकियां और कई संस्थाओं की झांकियां शोभायात्रा में शामिल हुईं। सबसे आगे रही खजराना गणेश की झांकी, जिसके स्वागत में लोग झूम उठे।

  • कल्याण मिल की झांकी ने सैनिकों के सम्मान में सेना का पराक्रम दिखाया।

  • मालवा मिल की झांकी में ‘छोटा हाथी’ और ‘कालू मदारी’ ने बच्चों का दिल जीत लिया।

  • होप मिल की झांकी में गणेशजी बारात लेकर निकले और कार्तिकेय के जन्म की कथा दिखाई गई।

  • होम मिल ने गंगाजी के धरती पर अवतरण का सुंदर दृश्य सजाया।

  • श्रीकृष्ण की झांकी में गोपियों के संग रासलीला का अद्भुत नजारा देखने को मिला।

छोटे कलाकार भी पीछे नहीं रहे—10 साल की लावण्या पवार मां कालका के भेष में नजर आई और खूब वाहवाही लूटी।

इतनी भीड़ और उत्सव में सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती थी। यही वजह रही कि प्रशासन ने करीब 3500 जवान तैनात किए और कलेक्टर आशीष सिंह ने खुद ड्रोन से निगरानी की। नतीजा ये हुआ कि भीड़ में घुले-मिले बदमाश भी बच नहीं पाए। रातभर चली कार्रवाई में 40 संदिग्ध पकड़े गए, जिनमें से 12 के पास अवैध हथियार मिले। इन पर आर्म्स एक्ट में केस दर्ज किया गया, जबकि अन्य पर शांति भंग की आशंका में कार्रवाई हुई।

इतिहास की जड़ें – मजदूरों से शुरू हुई परंपरा

इंदौर की झांकियों की परंपरा की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। करीब 102 साल पहले एक साधारण-सा विचार आज इंदौर की पहचान बन चुका है।
साल 1924-25 में हुकुमचंद मिल के मजदूर मोरू भैया पुराणिक ने चंदा इकट्ठा करके गणेशोत्सव की शुरुआत की थी। शुरुआत सिर्फ पूजा और आरती से हुई, लेकिन अगले ही साल मैनेजर श्रीपंत वैद्य ने इसमें भजन-कीर्तन और जुलूस जोड़ दिया। फिर 1926 में पहली बार प्रतिमा को झांकी के रूप में निकाला गया। आज वही परंपरा इंदौर के गौरव का हिस्सा है।

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