जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मथुरा की ऐतिहासिक धरती पर एक बार फिर मंदिर-मस्जिद विवाद ने गर्मी पैदा कर दी। हालांकि इस बार इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने की हिंदू पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि याचिका में कोई ठोस आधार नहीं है और इसे कठोर दंड के साथ खारिज किया जाना चाहिए।
दरअसल, पूरा मामला मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि जिस जगह शाही ईदगाह मस्जिद खड़ी है, वहां कभी भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर था। इसी दावे के साथ हिंदू पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि जैसे अयोध्या में बाबरी मस्जिद को कोर्ट ने विवादित ढांचा घोषित किया था, वैसे ही मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को भी विवादित ढांचा घोषित किया जाए।
हिंदू पक्ष के वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने 5 मार्च को यह याचिका दायर की थी। उन्होंने अदालत में तर्क दिया कि मस्जिद के पास न तो जमीन के कोई ठोस दस्तावेज हैं, न ही खसरा-खतौनी में मस्जिद का नाम दर्ज है। नगर निगम में भी कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। उन्होंने यहां तक कहा कि बिजली चोरी की रिपोर्ट तक शाही ईदगाह प्रबंध कमेटी के खिलाफ दर्ज है। ऐसे में किसी की जमीन पर वर्षों से कब्जा कर बैठ जाने से वह जमीन उसकी नहीं हो जाती।
हिंदू पक्ष ने अपनी याचिका में कहा कि मस्जिद की दीवारों पर अभी भी हिंदू देवी-देवताओं के प्रतीक चिह्न नजर आते हैं, जो इस बात का प्रमाण हैं कि वहां पहले मंदिर था। उन्होंने कोर्ट को याद दिलाया कि अयोध्या केस में जब तक बाबरी मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित नहीं किया गया था, तब तक फैसला नहीं आ सका था। इसलिए उन्होंने मथुरा की मस्जिद को भी विवादित ढांचा घोषित करने की मांग की।
इस पर मुस्लिम पक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यह मांग पूरी तरह अनुचित और निराधार है। मुस्लिम पक्ष की दलील थी कि शाही ईदगाह मस्जिद करीब 400 साल पुरानी है और यह तभी से मुस्लिमों की इबादतगाह है। इसलिए इसे विवादित ढांचा घोषित करने की कोई वजह ही नहीं बनती।
मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की सिंगल बेंच में हो रही थी। इस याचिका पर कोर्ट में अब तक चार बार सुनवाई हो चुकी थी। आखिरकार 23 मई को कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। और अब इस फैसले में कोर्ट ने याचिका को सिरे से खारिज कर दिया है।
कोर्ट के इस फैसले के बाद मथुरा विवाद की फाइल में यह अध्याय तो बंद हो गया, लेकिन अभी भी हिंदू पक्ष की 18 अन्य याचिकाएं इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित हैं। यानी आने वाले वक्त में श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह विवाद से जुड़ी और भी कई सुनवाईयां और कानूनी लड़ाईयां जारी रहेंगी।
कुल मिलाकर इस ऐतिहासिक फैसले ने फिलहाल मथुरा में तनाव की संभावनाओं को थोड़ी राहत दी है। लेकिन मंदिर-मस्जिद की इस जंग में आगे और क्या मोड़ आएंगे, इस पर पूरे देश की नजरें टिकी रहेंगी।