जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
कोलकाता की आरजी कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में 8-9 अगस्त की रात हुई एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे देश को हिला दिया था। वहीं, आज, लंबे समय के बाद इस मामले में एक ऐसा फैसला आया है, जो इस खौफनाक हादसे का अंत तो कर रहा है, लेकिन सवाल उठाता है – क्या यह न्याय है?
बात दें, आरजी कर हॉस्पिटल में 8-9 अगस्त की रात एक ट्रेनी डॉक्टर का रेप और मर्डर हुआ था। 9 अगस्त की सुबह उनकी लाश सेमिनार हॉल में पाई गई। पुलिस ने CCTV फुटेज के आधार पर 10 अगस्त को संजय रॉय नाम के सिविक वॉलंटियर को गिरफ्तार किया। इस घटना के बाद कोलकाता समेत पूरे देश में प्रदर्शन हुए। बंगाल में स्वास्थ्य सेवाएं दो महीने से ज्यादा समय तक ठप रहीं। और आज, उस दर्दनाक घटना के बाद, कोर्ट ने दोषी संजय रॉय को सजा सुनाई है।
सियालदह कोर्ट के जज अनिर्बान दास ने फैसला सुनाया है। कोर्ट ने संजय रॉय को उम्रभर की सजा सुनाई और उस पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह सजा उस मासूम डॉक्टर की जान की कीमत चुकता कर सकती है?
बता दें, जज अनिर्बान दास ने पश्चिम बंगाल सरकार को पीड़ित परिवार को 17 लाख रुपए मुआवजे का आदेश दिया है। हालांकि परिवार ने इसे लेने से इनकार कर दिया। वहीं, आरोपी संजय के परिवार ने कहा- भले ही फांसी हो। हम फैसले के खिलाफ अपील नहीं करेंगे। संजय की मां ने कहा कि मैं उस लड़की के मां-बाप का दुख समझती हूं, मेरी भी बेटियां हैं।
उधर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘अगर कोलकाता पुलिस के पास यह मामला होता, तो फांसी की सजा तय होती।’
फैसले के बाद, संजय रॉय ने कहा, ‘मुझे इस मामले में फंसाया गया है। मैंने यह काम नहीं किया। जिन्होंने ये काम किया है, उन्हें जाने दिया गया। एक IPS इसमें शामिल है। मैं रुद्राक्ष की माला पहनता हूं और अगर मैंने अपराध किया होता तो यह टूट जाती।’