जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राष्ट्रीय वैज्ञानिक सम्मेलन / विज्ञान उत्सव और चालीसवें मध्यप्रदेश युवा वैज्ञानिक सम्मेलन का वर्चुअल शुभारंभ करते हुए कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से आज दुनिया में बड़ा परिवर्तन हो रहा है। फार्मिंग से लेकर फाइनेंस, मैन्युफैक्चरिंग से लेकर मेडिसिन और एजुकेशन से लेकर कम्युनिकेशन तक विज्ञान का प्रभाव साफ दिख रहा है। यह सम्मेलन कालिदास अकादमी परिसर उज्जैन में हो रहा है। कार्यक्रम में कौशल विकास एवं रोजगार राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार गौतम टेटवाल भी वर्चुअल रूप से शामिल हुए।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी विजनरी नीतियों के चलते आज भारत रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में वैश्विक लीडर बन रहा है। इसी दिशा में मध्यप्रदेश सरकार भी स्पेस पॉलिसी बनाने जा रही है। इसके साथ ही प्रदेश में इसरो केंद्र की स्थापना के लिए मंथन शुरू किया गया है।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (GIS) के दौरान विज्ञान और तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए चार बड़ी नीतियों को लागू किया गया है। ये नीतियां मध्यप्रदेश को टेक्नोलॉजी और इनोवेशन हब बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होंगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में विज्ञान और तकनीक का व्यापक उपयोग बढ़ाया जाएगा। हाल ही में इसरो (ISRO) ने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट – स्पैडेक्स (SPADEx) सैटेलाइट की सफल लॉन्चिंग कर इतिहास रच दिया है।
मध्यप्रदेश में अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की पहल
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में अंतरिक्ष गतिविधियों का केंद्र दक्षिण भारत रहा है, लेकिन उत्तर और मध्य भारत में इस तरह के केंद्रों की कमी है। इसलिए, मध्यप्रदेश सरकार इसरो की तर्ज पर एक अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की योजना बना रही है। इससे प्रदेश के विद्यार्थियों और वैज्ञानिकों को बड़ा लाभ मिलेगा।
प्रदेश में ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ाया जा रहा है।
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कृषि क्षेत्र में ड्रोन का उपयोग: किसानों को उन्नत तकनीक से जोड़ा जा रहा है।
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राजस्व और भूमि सर्वेक्षण में ड्रोन टेक्नोलॉजी: रायसेन जिले से शहरी बस्तियों के भूमि सर्वेक्षण का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है।
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डिजिटल नक्शा निर्माण: इससे प्रदेश के अन्य शहरों में संपत्तियों के स्वामित्व रिकॉर्ड्स को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह शहर अध्यात्म, संस्कृति और विज्ञान का प्रमुख केंद्र है। हमारी सनातन संस्कृति विज्ञान आधारित रही है। नवग्रह पूजन, पंचांग, खगोलशास्त्र और काल गणना भारतीय विज्ञान की समृद्ध धरोहर हैं। उज्जैन को काल गणना का प्रमुख केंद्र माना जाता है, और इस विषय पर लगातार शोध कार्य किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने हाल ही में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में आईटी विभाग द्वारा घोषित चार प्रमुख नीतियों का जिक्र किया, जो प्रदेश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगी—
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मध्यप्रदेश ड्रोन संवर्धन और उद्योग नीति-2025: इस नीति का उद्देश्य कृषि, राजस्व, रक्षा और अन्य क्षेत्रों में ड्रोन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना है।
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मध्यप्रदेश एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग, कॉमिक्स और विस्तारित रियलिटी (AVGC-XR) नीति-2025: यह नीति युवाओं को गेमिंग और विजुअल इफेक्ट्स के क्षेत्र में अवसर प्रदान करेगी।
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मध्यप्रदेश सेमीकंडक्टर नीति-2025: सेमीकंडक्टर निर्माण और चिप डिज़ाइन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए यह नीति लाई गई है।
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मध्यप्रदेश वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC) नीति-2025: इस नीति के तहत आईटी और नवाचार के क्षेत्र में प्रदेश को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने का प्रयास किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय वैज्ञानिक सम्मेलन में आए सुझावों के आधार पर अब मध्यप्रदेश की स्पेस पॉलिसी तैयार की जाएगी।
आपको बता दें, इस राष्ट्रीय वैज्ञानिक सम्मेलन और युवा वैज्ञानिक सम्मेलन की थीम “विकास की बात – विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार एक साथ” पूरी तरह प्रासंगिक है। इस सम्मेलन में देशभर के लगभग 300 शोधार्थी और युवा वैज्ञानिक शामिल हो रहे हैं, जो 17 विषयों पर शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। यह मंच न केवल विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में नए विचारों को बढ़ावा देगा, बल्कि मध्यप्रदेश के विज्ञान जगत को भी नई दिशा प्रदान करेगा। इसके अलावा इस वैज्ञानिक सम्मेलन में देश के शीर्ष वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने भाग लिया—
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राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC), हैदराबाद के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव विज्ञान के क्षेत्र में नवाचार के लिए उत्साहित हैं और यह नीति प्रदेश को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।
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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने कहा कि भविष्य में ऐसे वैज्ञानिक सम्मेलन प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी आयोजित किए जाएंगे।
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आईआईटी गांधीनगर के प्रो. मनीष जैन, नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के डॉ. अरविंद रानाडे, और डीआरडीओ के एमेरिटस वैज्ञानिक सुधीर मिश्रा सहित कई वैज्ञानिकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।