जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे बीजेपी ने अपनी तैयारियों को और तेज कर दिया है। पार्टी ने चुनावी प्रबंधन को और मजबूत करने के लिए मध्यप्रदेश के कई बड़े नेताओं को बिहार भेजा है, जिन्हें अलग-अलग क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई है।
बिहार को 5 जोन में बांटा गया
बीजेपी ने चुनावी रणनीति के तहत बिहार को पांच बड़े जोन में बांटा है। इनमें से दो अहम क्षेत्र – मिथिला और तिरहुत – की कमान एमपी बीजेपी के प्रभारी डॉ. महेन्द्र सिंह को सौंपी गई है। यह क्षेत्र राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील माना जाता है और यहां कुल 12 जिले आते हैं।
डॉ. महेन्द्र सिंह के साथ एमपी बीजेपी के प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा भी तैनात किए गए हैं। दोनों नेता मिलकर 12 जिलों की 58 विधानसभा सीटों और 10 लोकसभा क्षेत्रों में चुनावी रणनीति संभालेंगे। पार्टी ने यहां यूपी के नेताओं को भी लोकसभा स्तर पर जिम्मेदारी दी है।
जामवाल की ड्यूटी सारण और चंपारण में
बीजेपी के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल को सारण और चंपारण क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई है। यहां करीब 45 विधानसभा सीटें आती हैं। माना जा रहा है कि यह इलाका भी चुनावी दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है और यहां पार्टी का संगठन मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा।
एमपी के 6 बड़े नेता भी मैदान में
बीजेपी ने सिर्फ महेन्द्र सिंह ही नहीं, बल्कि एमपी के अन्य दिग्गज नेताओं को भी बिहार चुनाव में सक्रिय किया है। इनमें –
-
वीडी शर्मा (पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व खजुराहो सांसद) – पटना और बेगूसराय क्षेत्र की जिम्मेदारी
-
विश्वास सारंग (खेल मंत्री, मप्र सरकार) – सिवान का प्रभार
-
अरविंद भदौरिया (पूर्व मंत्री) – गोपालगंज की जिम्मेदारी
-
अनिल फिरोजिया (सांसद, उज्जैन) – गया क्षेत्र का प्रभार
-
गजेन्द्र पटेल (सांसद, खरगोन) – खगड़िया की जिम्मेदारी
-
डॉ. केपी यादव (पूर्व सांसद) – समस्तीपुर क्षेत्र का प्रभार
क्यों अहम है एमपी नेताओं की तैनाती?
बीजेपी का मानना है कि बिहार चुनाव में संगठन को मजबूत करने के लिए अनुभवी नेताओं की टीम की जरूरत है। एमपी के नेताओं के पास संगठनात्मक अनुभव और चुनावी रणनीति का अच्छा रिकॉर्ड है। यही वजह है कि उन्हें अलग-अलग जिलों में भेजा गया है ताकि पार्टी बूथ स्तर तक चुनावी तैयारियों को धार दे सके।
बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी ने बाहर के राज्यों के नेताओं को भी मोर्चे पर लगाया है। खासकर मध्यप्रदेश से नेताओं की यह तैनाती दिखाती है कि पार्टी चुनाव को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। अब देखने वाली बात होगी कि ये दिग्गज नेता बिहार में बीजेपी के लिए कितना असर दिखा पाते हैं।