जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
बेंगलुरु की उस भयावह भगदड़ घटना में बड़ा मोड़ आया है, जिसमें आईपीएल ट्रॉफी जीतने के बाद आरसीबी की विक्ट्री परेड के दौरान 11 लोगों की जान चली गई थी और करीब 75 लोग घायल हुए थे। इस केस में निलंबित किए गए आईपीएस अधिकारी विकास कुमार को सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) ने मंगलवार को बहाल कर दिया। CAT ने अपने फैसले में साफ कहा कि इस हादसे के लिए पुलिस को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, बल्कि रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की फ्रेंचाइजी ही इस त्रासदी की असली दोषी है।
CAT बेंगलुरु बेंच के जस्टिस बीके श्रीवास्तव और प्रशासनिक सदस्य संतोष मेहरा की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए कहा — “पुलिस भगवान या कोई जादूगर नहीं है। जब पुलिस को पर्याप्त समय ही नहीं दिया गया, तो उससे कैसे उम्मीद की जा सकती है कि वह इतनी बड़ी भीड़ को काबू में कर लेती।” CAT ने अपने फैसले में कहा कि RCB ने 4 जून को अचानक सोशल मीडिया पर विक्ट्री परेड की घोषणा कर दी, जिससे देखते ही देखते करीब 5 लाख लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। इतना बड़ा जमावड़ा बिना उचित तैयारी के संभालना मुश्किल था।
ट्रिब्यूनल ने साफ किया कि पुलिस को आयोजन की तैयारी के लिए पर्याप्त वक्त नहीं मिला। RCB ने 3 जून को ही पुलिस कमिश्नर को पत्र देकर परेड की सूचना दी थी, जिस पर पुलिस ने साफ कर दिया था कि इतने कम समय में इस कार्यक्रम की मंजूरी नहीं दी जा सकती। इसके बावजूद RCB ने बिना अनुमति के विक्ट्री परेड कर डाली, जिसके चलते चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भीषण भगदड़ मच गई।
राज्य सरकार ने इस घटना को लेकर कर्नाटक पुलिस नियम 1965 और अखिल भारतीय सेवा अनुशासन नियम 1969 के तहत कार्रवाई करते हुए IPS विकास कुमार समेत तीन सीनियर अधिकारियों को निलंबित कर दिया था। इसके अलावा एसीपी और पीआई के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की गई।
निलंबन आदेश के खिलाफ IPS विकास कुमार ने 5 जून को ही CAT में याचिका दायर कर इसे चुनौती दी थी। ट्रिब्यूनल ने कहा कि सरकार ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले पुख्ता सबूतों पर विचार नहीं किया। बिना पर्याप्त जांच और आधार के अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया, इसलिए यह आदेश रद्द किया जाता है।
इस फैसले के बाद अब राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा है कि वे इस आदेश की समीक्षा करेंगे और मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद आगे की कानूनी कार्रवाई पर विचार किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों से जुड़ी सेवा शर्तों के विवादों को जल्दी निपटाने और अदालतों पर बोझ कम करने के लिए ही केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) की स्थापना की गई थी। CAT के देशभर में कई बेंच हैं, जिनमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और बेंगलुरु प्रमुख हैं। CAT के आदेश के खिलाफ सीधे हाईकोर्ट में अपील की जा सकती है।