शारदीय नवरात्र की महाअष्टमी पर नगर पूजा

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शारदीय नवरात्र की महाअष्टमी पर नगर पूजा

उज्जैन। शारदीय नवरात्र की महाअष्टमी पर मंगलवार को सुख-समृद्धि की कामना के साथ परंपरागत नगर पूजा का आयोजन हो रहा है।
कलेक्टर रौशन कुमार सिंह ने सुबह 7:30 बजे चौबीस खंभा स्थित माता महामाया व महालया को मदिरा का भोग अर्पित कर पूजा की शुरुआत की। इसके बाद शासकीय अधिकारियों व कोटवारों का दल ढोल-ढमाकों के साथ शहरभर में रवाना हुआ।

करीब 27 किलोमीटर लंबे मार्ग पर नगर पूजा का सिलसिला चलता है। इस दौरान मदिरा की धार लगाई जाती है और पूड़ी, भजिए, गेहूं व चने की घुघरी अर्पित की जाती है। मान्यता है कि इससे नगर में विद्यमान अतृप्त आत्माएं तृप्त होती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

नगर पूजा की परंपरा धर्मधानी उज्जैन में सम्राट विक्रमादित्य के समय से चली आ रही है। कालांतर में राजा-महाराजा इसका निर्वहन करते रहे और स्वतंत्रता के बाद यह जिम्मेदारी सरकार ने संभाली। परंपरा के अनुसार पूजा का शुभारंभ चौबीस खंभा माता मंदिर से होता है, जिसे प्राचीन उज्जैन का मुख्य द्वार माना जाता है।

मान्यता है कि माता महामाया, महालया और देवी-भैरव आदि अनादिकाल से नगर की रक्षा करते आए हैं। इसलिए प्रतिवर्ष महाअष्टमी पर राजा (अब प्रशासन) द्वारा देवी-भैरव की पूजा की जाती है ताकि देवताओं की कृपा और नगर का मंगल बना रहे।

12 घंटे का आयोजन
सुबह चौबीस खंभा माता मंदिर से शुरू होकर यह पूजा अर्चना करीब 12 घंटे चलती है। रात 8 बजे गढ़कालिका माता मंदिर के समीप हांडी फोड़ भैरव मंदिर में विशेष पूजन के साथ नगर पूजा का समापन होता है।

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