जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। सिविल अस्पताल परासिया में पदस्थ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर निलंबित कर दिया गया है। साथ ही, डॉ. सोनी और तमिलनाडु स्थित दवा निर्माता कंपनी श्रीसन फार्मास्युटिकल्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
क्या है पूरा मामला
इस घटना की शुरुआत 24 अगस्त से हुई, जब छिंदवाड़ा जिले में बच्चों में तेज बुखार और पेशाब में परेशानी जैसी शिकायतें सामने आईं। कुछ ही दिन बाद कई बच्चों की हालत गंभीर हो गई और किडनी फेल होने के कारण 11 बच्चों की मौत हो गई। प्रारंभिक जांच में मामला कोल्ड्रिफ कफ सिरप तक पहुँच गया।
जांच में पता चला कि इस सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की मात्रा तय सीमा से कहीं अधिक थी — 48.6% तक। यह एक जहरीला पदार्थ है, जो किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचाता है।
डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए। आयुक्त लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा ने डॉ. प्रवीण सोनी को तत्काल निलंबित कर दिया। आदेश में कहा गया कि डॉ. सोनी ने निजी प्रैक्टिस के दौरान गंभीर लापरवाही बरती और अपने दायित्वों का पालन नहीं किया। इस दौरान बच्चों को ऐसी दवाएं दी गईं, जिससे उनकी मौत तक हो गई। निलंबन के दौरान उनका मुख्यालय क्षेत्रीय संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं, जबलपुर के अधीन रखा गया है।
कंपनी और कानूनी कार्रवाई
छिंदवाड़ा के थाना परासिया में डॉ. सोनी और श्रीसन फार्मास्युटिकल्स के संचालकों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 105, 276 और औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 27ए के अंतर्गत एफआईआर दर्ज की गई है।
इसके साथ ही, तमिलनाडु सरकार ने पूरे राज्य में कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री-वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया है। कंपनी के उत्पादन को रोका गया है और मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस रद्द करने के लिए नोटिस भेजा गया है।
मृतकों और प्रभावितों का आंकड़ा
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मध्यप्रदेश में 11 बच्चों की मौत पुष्टि हुई है।
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इन बच्चों की उम्र 1 से 5 साल के बीच थी।
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राजस्थान में भी कोल्ड्रिफ जैसे अन्य कफ सिरप पीने से 3 मौतें हुई हैं।
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तमिलनाडु, केरल और राजस्थान में इस दवा पर रोक लगी हुई है।
मुख्यमंत्री की सहायता घोषणा
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मृत बच्चों के परिवारों को आर्थिक मदद देने की घोषणा की है। प्रत्येक परिवार को 4-4 लाख रुपए की सहायता राशि प्रदान की जाएगी।
जांच में क्या मिला
चेन्नई की सरकारी ड्रग टेस्टिंग लैब की रिपोर्ट में पाया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप के बैच नंबर SR-13 में 48.6% डायथिलीन ग्लाइकॉल था। यह पदार्थ जहरीला है और किडनी फेल होने का कारण बनता है। इसके अलावा, दवा का निर्माण नॉन-फार्माकोपिया ग्रेड प्रोपीलीन ग्लाइकॉल से किया गया था, जिसमें दूषण पाया गया।
स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 3 अक्टूबर को एडवाइजरी जारी की है — दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न दें। विशेष रूप से यह चेतावनी दी गई है कि बच्चों को कफ सिरप केवल डॉक्टर की सलाह पर, उचित खुराक और न्यूनतम अवधि के लिए ही दिया जाना चाहिए।