भारत में कोरोना फिर बना चिंता का कारण: एक्टिव केस घटे लेकिन नए वैरिएंट ने बढ़ाई टेंशन, 142 मौतें; 4 नए स्ट्रेन की हुई पुष्टि!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

देश में कोरोना वायरस भले ही अब उतना भयावह न दिख रहा हो, लेकिन खतरा पूरी तरह टला नहीं है। भारत में कोविड-19 के एक्टिव केस बीते दो हफ्तों से लगातार कम हो रहे हैं, जो राहत की बात है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, बीते 24 घंटे में सिर्फ 30 नए मामले सामने आए हैं जबकि 252 मरीज स्वस्थ हुए। अब देश में एक्टिव केस घटकर सिर्फ 2,086 रह गए हैं। गौरतलब है कि 12 जून को यह संख्या 7,131 थी।

लेकिन इस राहत के बीच एक डराने वाला पहलू भी सामने आ रहा है। नए वैरिएंट की वजह से अब तक जनवरी 2025 से लेकर अब तक 142 लोगों की मौत हो चुकी है। सिर्फ पिछले एक महीने में ही 135 मौतें दर्ज की गई हैं। बीते दिन दिल्ली में 2 और हरियाणा में 1 मरीज की मौत ने सरकार और लोगों की चिंता फिर बढ़ा दी है।

देशभर के राज्यों ने अलर्ट मोड पर स्वास्थ्य सेवाएं तैनात कीं

  • उत्तर प्रदेश सरकार ने कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए सभी अस्पतालों को सतर्क रहने के आदेश दिए हैं। सभी अस्पतालों में दवाएं, PPE किट, ऑक्सीजन सिलिंडर, आइसोलेशन बेड और वेंटिलेटर तैयार रखने को कहा गया है।

  • केरल में अस्पतालों को जून 2023 में जारी कोविड गाइडलाइन फिर से लागू करने के आदेश दिए गए हैं। मास्क लगाना अनिवार्य किया गया है और बुखार, जुकाम-खांसी वाले हर मरीज का कोविड टेस्ट किया जाएगा।

  • कर्नाटक के गुलबर्गा में 25 बेड का कोविड वार्ड तैयार किया गया है, जिसमें ICU, HDU और गर्भवती महिलाओं के लिए भी विशेष बेड हैं।

बता दें, ICMR-NIV (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी) के डायरेक्टर डॉ. नवीन कुमार ने बताया कि सिंगापुर में तेजी से फैल रहे निम्बस (NB.1.8.1) वैरिएंट के केस भारत में भी मिल रहे हैं। पिछले 5-6 हफ्तों में इन मामलों में तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अच्छी बात यह है कि इस वैरिएंट में ओमिक्रॉन जैसे ही लक्षण देखे जा रहे हैं, हालांकि ICMR ने टेस्टिंग की रफ्तार और निगरानी को और बढ़ा दिया है।

भारत में कोविड-19 के 4 नए वैरिएंट की पुष्टि, JN.1 सबसे आम

ICMR के डायरेक्टर डॉ. राजीव बहल ने बताया कि दक्षिण और पश्चिम भारत में कोविड के चार नए वैरिएंट LF.7, XFG, JN.1 और NB.1.8.1 पाए गए हैं। अन्य राज्यों से भी नमूने लेकर इनकी जीनोम सीक्वेंसिंग करवाई जा रही है। हालांकि WHO ने इन्हें ‘चिंताजनक वैरिएंट’ की कैटेगरी में नहीं रखा है, लेकिन निगरानी में जरूर रखा गया है।NB.1.8.1 के स्पाइक प्रोटीन में A435S, V445H और T478I जैसे म्यूटेशन हैं, जो इसे ज्यादा तेजी से फैलने में सक्षम बनाते हैं और पहले बनी इम्यूनिटी को चकमा दे सकते हैं। भारत में JN.1 वैरिएंट फिलहाल सबसे ज्यादा पाया जा रहा है। टेस्टिंग में आधे से ज्यादा सैंपल में यही स्ट्रेन मिला है। इसके बाद BA.2 और अन्य ओमिक्रॉन सबलाइनेज के केस हैं।

JN.1 इम्यूनिटी को कमजोर करने वाला वैरिएंट, लेकिन बहुत गंभीर नहीं

JN.1 असल में ओमिक्रॉन के BA.2.86 का स्ट्रेन है। अगस्त 2023 में पहली बार इसकी पहचान हुई थी और दिसंबर 2023 में WHO ने इसे ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ घोषित किया। इसमें 30 के करीब म्यूटेशन्स हैं जो इम्यूनिटी को प्रभावित करते हैं।

हालांकि अमेरिका के जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी का कहना है कि JN.1 आसानी से फैलता जरूर है, लेकिन ज्यादा गंभीर बीमारी पैदा नहीं करता। इसके लक्षण कुछ दिनों से हफ्तों तक रह सकते हैं। कई मरीजों को लॉन्ग कोविड की समस्या भी हो सकती है, यानी लक्षण ठीक होने के बाद भी लंबे समय तक बने रहते हैं।

डॉक्टरों का कहना है कि इन वैरिएंट्स को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। बस पहले की तरह ही सावधानी बरतें। मास्क पहनें, भीड़ में जाने से बचें, हाथ धोते रहें और लक्षण दिखें तो तुरंत टेस्ट कराएं। कुल मिलाकर भारत में कोरोना की रफ्तार भले ही धीमी पड़ रही हो, लेकिन नए स्ट्रेन्स के चलते पूरी तरह से खतरा टला नहीं है। ऐसे में थोड़ी सी लापरवाही भविष्य में बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकती है।

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