उत्तराखंड के चमोली में तबाही: ग्लेशियर टूटने से 57 मजदूर बर्फ में दफन, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी; 7:15 बजे आया था एवलांच

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

उत्तराखंड के चमोली जिले में एक भयावह हादसा हुआ है, जिसने पूरे इलाके में दहशत फैला दी। दरअसल, उत्तराखंड के चमोली में शुक्रवार सुबह 7:15 बजे भयानक एवलांच आया, जिसने सब कुछ तबाह कर दिया। इस एवलांच में 57 मजदूर देखते ही देखते बर्फ के सैलाब में समा गए। हालांकि, कुछ मजदूर किसी तरह जान बचाने में सफल रहे, लेकिन अधिकांश मजदूर देखते ही देखते बर्फ के नीचे समा गए। हादसा बद्रीनाथ से लगे माणा गांव में हुआ है।

रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना उस समय हुई जब सीमा सड़क संगठन (BRO) के लिए काम कर रहे श्रमिक माणा गांव के पास सड़क से बर्फ हटाने और निर्माण कार्य में व्यस्त थे। ये सभी श्रमिक एक प्राइवेट ठेकेदार के तहत काम कर रहे थे, जो BRO के कॉन्ट्रैक्ट का हिस्सा था। अचानक आए हिमस्खलन ने इन श्रमिकों को बर्फ के नीचे दबा दिया। कुछ श्रमिक भागकर अपनी जान बचाने में सफल रहे, लेकिन 57 लोग बर्फ में फंस गए। ये सभी 8 कंटेनर और एक शेड में मौजूद थे, जब यह त्रासदी हुई।

घटना की खबर मिलते ही सेना की क्विक रिस्पॉन्स टीम के 100 से ज्यादा जवान बिना देर किए रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गए। डॉक्टर्स, एम्बुलेंस स्टाफ और बचाव दल की टीम हर संभव कोशिश कर रही है, लेकिन हालात बेहद मुश्किल हैं। सुबह 11:50 बजे तक 5 कंटेनरों का पता लगाया गया, और 10 मजदूरों को बाहर निकाला गया। इनमें से 4 की हालत बेहद गंभीर है, जिन्हें जोशीमठ और माणा के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

वहीं, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना को लेकर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “चमोली के माणा गांव के पास BRO के निर्माण कार्य के दौरान हिमस्खलन से कई मजदूर फंस गए हैं, यह बेहद दुखद है। राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहा है। मैं भगवान बद्री विशाल से प्रार्थना करता हूं कि सभी मजदूर सुरक्षित रहें।” सीएम ने प्रशासन को हर संभव मदद के लिए तत्पर रहने के निर्देश भी दिए हैं।

BRO के अधिकारी सी.आर. मीना ने बताया कि तेज बर्फबारी के कारण माणा पास और बद्रीनाथ के बीच सड़कें बंद हो चुकी हैं। कम्युनिकेशन ठप है, और बर्फीली हवाएं बचाव कार्य को और मुश्किल बना रही हैं। जवान बर्फ हटाकर आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन समय तेजी से निकल रहा है। वहीं, मौसम विभाग के मुताबिक, तेज बर्फबारी और माइनस तापमान के चलते रेस्क्यू ऑपरेशन और कठिन हो गया है। 41 मजदूर अभी भी लापता हैं, और उनके बर्फ के नीचे जिंदा होने की उम्मीदें हर गुजरते पल के साथ कम होती जा रही हैं।

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