देश के हर तीसरे बच्चे में हार्ट अटैक का खतरा, ICMR की ताजा स्टडी ने चेताया: दिल्ली और शहरी बच्चों में बढ़ता हाई बीपी और लिपिड डिसऑर्डर, WHO ने इसे साइलेंट एपिडेमिक बताया!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

आज सेहत सबसे बड़ी चिंता का विषय बन चुकी है। भीड़-भाड़ वाली दुनिया में हर दूसरा इंसान किसी न किसी बीमारी से जूझ रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि छोटे-छोटे बच्चे भी गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की ताजा स्टडी के मुताबिक, देश के करीब हर तीसरे बच्चे को दिल की बीमारी का खतरा बना हुआ है।

बचपन में ही बढ़ रहा हार्ट अटैक का रिस्क

रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ 5 से 9 साल की उम्र में ही बच्चों के खून में फैट्स और ट्राइ-ग्लिसराइड्स बढ़ने लगे हैं। यही वही फैट है जो आगे चलकर हार्ट अटैक की संभावना को कई गुना बढ़ा देता है।

  • पश्चिम बंगाल में 67% बच्चे हाई ट्राइ-ग्लिसराइड से प्रभावित पाए गए।

  • असम में यह आंकड़ा 57% और जम्मू-कश्मीर में 50% है।

दिल्ली तो पहले से ही प्रदूषण की राजधानी कहलाती थी, लेकिन अब यहां हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। राजधानी के 10% टीनएजर्स हाई बीपी के साथ जी रहे हैं।

क्यों बिगड़ रही बच्चों की सेहत?

ICMR की स्टडी बताती है कि शहरी बच्चों में करीब 40% लिपिड डिसऑर्डर देखा जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह है –

  • प्रोसेस्ड फूड और जंक फूड का बढ़ता इस्तेमाल

  • सॉफ्ट ड्रिंक्स की लत

  • घंटों स्क्रीन के सामने बैठना

  • फिजिकल एक्टिविटी की कमी

विशेषज्ञों के अनुसार, अगर बचपन में ही एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) और ट्राइ-ग्लिसराइड्स हाई मिल जाएं तो 20–25 साल की उम्र तक हार्ट अटैक का खतरा कई गुना ज्यादा हो जाता है। डब्ल्यूएचओ ने भी इसे साइलेंट एपिडेमिक करार दिया है।

ब्लड प्रेशर कैसे पहचानें?

हाई बीपी कई बार बिना लक्षण के भी नुकसान पहुंचाता है। फिर भी कुछ संकेत हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए:

  • बार-बार सिरदर्द या चक्कर आना

  • चेस्ट पेन और सांस फूलना

  • चिड़चिड़ापन और थकान

  • नसों में झनझनाहट

  • नजर कमजोर होना

अगर बीपी नॉर्मल है तो रीडिंग 120/80 के आसपास होगी।

  • हाई बीपी = 140/90 से ज्यादा

  • लो बीपी = 90/60 से कम

बचाव के उपाय – क्या करें, क्या न करें?

विशेषज्ञ कहते हैं कि लाइफस्टाइल में छोटे-छोटे बदलाव से बीपी और दिल से जुड़ी समस्याओं पर काबू पाया जा सकता है।

  1. हेल्दी डाइट लें, प्रोसेस्ड फूड और ज्यादा नमक से बचें
  2. रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें
  3. योग और मेडिटेशन को दिनचर्या में शामिल करें
  4. पानी खूब पिएं और स्ट्रेस कम लें
  5. वज़न नियंत्रित रखें – 1 किलो वजन घटाने से बीपी 1 प्वाइंट तक कम हो सकता है

कुछ घरेलू उपाय भी लाभकारी हो सकते हैं –

  • अर्जुन की छाल, दालचीनी और तुलसी से बना काढ़ा

  • लौकी का जूस या सूप

  • समय पर और संतुलित भोजन

ध्यान रहे – हाई बीपी की स्थिति में शीर्षासन, सर्वांगासन जैसे पावर योगासन न करें।

क्यों ज़रूरी है अभी सतर्क होना?

अगर बच्चों और युवाओं की मौजूदा खानपान की आदतें और स्क्रीन-टाइम ऐसे ही जारी रहे, तो आने वाले सालों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मामले 20–25 साल की उम्र में ही तेजी से बढ़ सकते हैं।

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी सामान्य स्वास्थ्य जागरूकता के लिए है। किसी भी प्रकार का डाइट प्लान या घरेलू उपाय अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।

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