जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। बरेला स्थित शराब दुकान के सेल्समैन उपेंद्र मिश्रा ने एक चौंकाने वाला वीडियो जारी करते हुए कहा है कि वह फरार नहीं है, बल्कि अपनी जान बचाने के लिए छिपा हुआ है। उपेंद्र ने दावा किया कि आबकारी विभाग कभी भी उसके खिलाफ झूठी कार्रवाई कर सकता है, इसलिए वह डरा हुआ है।
ये मामला तब सुर्खियों में आया जब 17 जुलाई की रात सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे, अधिकारी इंद्रेश तिवारी और विभाग की टीम ने बरेला, पड़वार और धनपुरी में शराब दुकानों की जांच के दौरान उपेंद्र मिश्रा के साथ मारपीट की। अगले ही दिन सुबह सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें अधिकारी खुद उपेंद्र को पीटते नजर आ रहे थे। आरोप है कि सिपाही हर्ष ठाकुर ने भी उसे बेरहमी से पीटा।
उपेंद्र मिश्रा का कहना है कि वह ईमानदारी से दुकान में काम कर रहा था। मारपीट के बाद उसने सबसे पहले दुकान मालिक को फोन किया और फिर सीधे बरेला थाने गया, लेकिन वहां से उसे यह कहकर लौटा दिया गया कि सुबह आना। 18 जुलाई को उसने दोबारा जाकर रिपोर्ट दर्ज करवाई और एमएलसी भी करवाई गई।
वहीं, आबकारी विभाग ने दावा किया है कि उपेंद्र मिश्रा अवैध शराब तस्करी में शामिल था और उसे रंगे हाथों पकड़कर जबलपुर लाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में वह भाग निकला। विभाग का कहना है कि 3 गाड़ियों में अवैध रूप से 216.75 बल्क लीटर शराब बरामद हुई और उपेंद्र मिश्रा इसके पीछे था। उसके खिलाफ आबकारी अधिनियम की धारा 34(2) के तहत केस दर्ज किया गया है।
लेकिन सवाल यह उठता है कि यदि उपेंद्र सच में 17 जुलाई की रात को फरार हुआ था, तो वह 18 जुलाई की सुबह और दोपहर तक दुकान पर कैसे मौजूद था? सोशल मीडिया पर वायरल कुछ वीडियो में उपेंद्र को सुबह दुकान में काम करते हुए देखा गया है, जो विभाग के दावे को कटघरे में खड़ा करता है।
इस पूरे मामले ने सियासी रंग भी ले लिया है। कांग्रेस नगर अध्यक्ष सौरभ शर्मा ने आरोप लगाया है कि यह कोई विभागीय कार्रवाई नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। उनका कहना है कि संजीव दुबे पहले से ही भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात हैं और यह घटना पूरे प्रदेश को शर्मसार करती है।
प्रदेश सरकार नशा मुक्ति अभियान की बात कर रही है, वहीं प्रशासनिक अधिकारियों पर ही शराब तस्करी से जुड़े लोगों के साथ मारपीट और झूठे केस दर्ज करने के आरोप लग रहे हैं। इस प्रकरण ने आबकारी विभाग की साख पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
अब देखना यह होगा कि शासन इस मामले में निष्पक्ष जांच कराता है या नहीं। क्या पीड़ित सेल्समैन को न्याय मिलेगा? या यह मामला भी कुछ दिनों बाद मीडिया की सुर्खियों से गायब हो जाएगा?