इंदौर और उज्जैन के किसान तैयार, 20+ गांवों में प्रभावित किसानों का ग्रीन फील्ड कॉरिडोर विरोध मार्च आज: किसानों ने कहा – बिना सर्वे और राय लिए लागू हुई योजना, मुआवजा कम और फसल भावों पर भी हुई अनदेखी

You are currently viewing इंदौर और उज्जैन के किसान तैयार, 20+ गांवों में प्रभावित किसानों का ग्रीन फील्ड कॉरिडोर विरोध मार्च आज: किसानों ने कहा – बिना सर्वे और राय लिए लागू हुई योजना, मुआवजा कम और फसल भावों पर भी हुई अनदेखी

जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

इंदौर और उज्जैन जिले के किसान आज एक बड़ा आंदोलन करने जा रहे हैं। करीब 1,000 से अधिक ट्रैक्टरों के साथ हातोद से इंदौर तक रैली निकाली जाएगी, जिसमें ग्रीन फील्ड कॉरिडोर परियोजना के विरोध के साथ-साथ सोयाबीन की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने और मुआवजा दरें बढ़ाने जैसी मांगें रखी जाएंगी।

रैली का मार्ग और कार्यक्रम

किसानों की यह रैली हातोद से शुरू होकर गांधी नगर, सुपर कॉरिडोर चौराहा और नावदा पंथ मार्ग होते हुए सिरपुर तालाब पहुंचेगी। वहां ट्रैक्टरों की पार्किंग की व्यवस्था की गई है। दोपहर 2 बजे तक सभी किसान सिरपुर तालाब में इकट्ठा होंगे और लगभग 3 बजे पैदल मार्च करते हुए चंदन नगर, लाबरिया भेरू और महू नाका मार्ग से कलेक्ट्रेट पहुंचेंगे, जहाँ ज्ञापन सौंपा जाएगा।

ट्रैफिक डीसीपी आनंद कलादगी ने बताया कि रैली मार्ग सीधा है, इसलिए फिलहाल पूरे मार्ग पर ट्रैफिक डायवर्ट नहीं किया गया है, लेकिन जरूरत पड़ने पर एक लेन बंद कर दी जाएगी और दूसरी लेन से वाहनों की आवाजाही जारी रहेगी।

ग्रीन फील्ड कॉरिडोर से प्रभावित गांव

इंदौर-उज्जैन ग्रीन फील्ड कॉरिडोर परियोजना से इंदौर की सांवेर और हातोद तहसीलों के लगभग 20 गांव और उज्जैन जिले के आठ गांव प्रभावित होंगे। इसके लिए 188 हेक्टेयर उपजाऊ जमीन अधिग्रहीत की जा रही है। कई किसानों की पूरी जमीन परियोजना में आ रही है, जबकि कुछ के खेतों के बीच से सड़क गुजरेगी, जिससे खेती संभव नहीं रह पाएगी।

किसानों का आरोप — बिना सर्वे योजना लागू

किसान नेता बबलू जाधव का कहना है कि सरकार ने बिना पर्याप्त सर्वे और किसानों की राय लिए यह योजना लागू कर दी है। उनका कहना है कि यह सड़क 2028 के सिंहस्थ आयोजन के लिए बनाई जा रही है, जबकि पहले से ही कई मार्ग हैं जिन्हें चौड़ा करके यही उद्देश्य पूरा किया जा सकता है।

मुआवजे और फसलों के दाम पर नाराजगी

किसानों का आरोप है कि सरकार द्वारा तय मुआवजा बाजार मूल्य से काफी कम है। कांकरिया के किसान वीरेंद्र चौहान ने कहा कि गाइडलाइन के अनुसार दोगुना मुआवजा देने की बात कही गई थी, लेकिन जमीन के असली दाम इससे पांच गुना ज्यादा हैं। किसान इस रैली में ग्रीन फील्ड कॉरिडोर के विरोध के साथ-साथ सोयाबीन के लिए समर्थन मूल्य, भावांतर योजना की स्थगित करने और प्याज के दाम बढ़ाने की मांग भी रखेंगे।

किसानों की अपील — नीतियों में अन्नदाता की आवाज़ शामिल हो

किसान नेताओं का कहना है कि लगातार बनाई जा रही योजनाओं में अन्नदाताओं की आवाज़ को नजरअंदाज किया जा रहा है। बबलू जाधव ने कहा, “सरकार योजनाएं बना देती है, लेकिन अन्नदाता की समस्याओं को समझने की कोशिश नहीं करती। हमारी जमीनें जा रही हैं, लेकिन मुआवजे के लिए आसपास की जमीन भी उपलब्ध नहीं है।”

Leave a Reply