भोपाल में किसानों का हल्ला बोल, सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा: मंत्रालय घेरने निकले तो डिप्टी सीएम खुद पहुंच गए धरनास्थल, बोले – ‘सरकार खुद आपके पास आ गई’

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश में किसानों का गुस्सा उबाल पर था। बिजली के बढ़े रेट, फसल के कम दाम और राजस्व विभाग की मनमानी के खिलाफ भारतीय किसान संघ के बैनर तले हजारों किसान मंत्रालय का घेराव करने पहुंचे, लेकिन इससे पहले ही सियासी हलचल मच गई। डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा खुद मौके पर पहुंच गए। किसानों की नाराजगी भांपते हुए उन्होंने कहा, “मुझे पता चला कि किसान वल्लभ भवन आ रहे हैं, तो सरकार खुद उनके पास आ गई।”

डिप्टी सीएम के इस बयान के बाद किसानों के बीच हंगामा मच गया। किसानों ने अपनी समस्याओं से भरा झोला उनके हाथों में थमा दिया और कहा कि हर बार सरकार सिर्फ आश्वासन देती है, लेकिन ज़मीन पर कुछ नहीं बदलता।

बता दें, किसानों ने भोपाल की सड़कों पर सरकार के खिलाफ हुंकार भरी। भारतीय किसान संघ के मध्य भारत प्रांत अध्यक्ष सर्वज्ञ दीवान ने कहा कि अब किसान चुप बैठने वाला नहीं। प्रशासन की अफसरशाही, राजस्व विभाग की मनमानी और फसलों के सही दाम न मिलने के खिलाफ 5 फरवरी को अन्नदाता अधिकार रैली निकाली जाएगी।

किसानों का कहना है कि सरकार हर बार MSP और योजनाओं के नाम पर झुनझुना पकड़ा देती है, लेकिन असल में न तो बिजली बिलों पर राहत दी जाती है और न ही खेती-किसानी के लिए ठोस कदम उठाए जाते हैं। किसान जब वल्लभ भवन की ओर बढ़ने लगे, तो पुलिस तैनात कर दी गई, लेकिन इससे पहले ही डिप्टी सीएम के मौके पर पहुंचने से माहौल गर्मा गया।

इस दौरान डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा, “प्रदेश सरकार ने समय-समय पर किसानों के हित में निर्णय लिए हैं। जो भी शिकायती ज्ञापन मिले हैं, उनका जल्द समाधान किया जाएगा। किसान हमारे हैं, हम आपसे अलग नहीं हैं। हम आपके साथ खड़े हैं।”

खाद, मंडी और एमएसपी पर सीधा हमला!

किसानों ने मांग की है कि डीएपी और यूरिया खाद नगद वितरण के साथ समय पर मिले, ताकि खेती में देरी न हो। मंडियों में किसानों के साथ हो रहे खेल को खत्म करने के लिए फ्लेट कांटे से तुलाई अनिवार्य करने की मांग उठी है। किसान चाहते हैं कि मंडी परिसर में ही भुगतान हो ताकि बिचौलियों की दलाली खत्म हो।

सबसे बड़ी मांग धान और गेहूं के उचित समर्थन मूल्य (MSP) की है। किसानों का कहना है कि धान 3100 रुपये और गेहूं 2700 रुपये प्रति क्विंटल खरीदा जाए, नहीं तो आंदोलन तेज होगा!

नकली दूध माफिया और बिजली संकट पर आगबबूला हुए किसान

प्रदेश में नकली दूध का गोरखधंधा चरम पर है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ दिखावा हो रहा है। किसानों ने सख्त चेतावनी दी है कि नकली दूध बनाने वालों पर तत्काल सख्त कार्रवाई हो, नहीं तो वे खुद इसका हिसाब लेंगे!

बिजली संकट भी किसानों के लिए सिरदर्द बना हुआ है। किसानों की मांग है कि हॉर्स पावर वृद्धि का फैसला तुरंत वापस लिया जाए, ट्रांसफॉर्मर और लाइनें समय सीमा में बदली जाएं, ताकि फसलें बर्बाद न हों।

गो-अभयारण्य से लेकर झूठे केस वापस लेने तक का अल्टीमेटम

किसानों ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि प्रदेश में गो-अभयारण्य खोले जाएं, सभी फसलों को MSP से नीचे न खरीदा जाए, और सबसे अहम—किसानों पर दर्ज झूठे केस वापस लिए जाएं।

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