रीवा से सागर तक ‘अफसरशाही बनाम राजनीति’ की जंग: कांग्रेस ने दो IAS अफसरों पर लगाए गंभीर आरोप, विधायक बोले – “कलेक्टर ईमानदार हैं तो मैं पोल खोल दूंगा”!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश में नौकरशाही की कार्यशैली एक बार फिर सियासी बहस का विषय बन गई है। कांग्रेस ने प्रदेश के दो आईएएस अफसरों — रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल और सागर कलेक्टर संदीप जी.आर. — को लेकर तीखे आरोप लगाए हैं। एक ओर रीवा के कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा ने कलेक्टर प्रतिभा पाल की ईमानदारी पर सवाल उठाए, तो दूसरी ओर कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने सागर कलेक्टर के दशहरा शुभकामना संदेश को लेकर सरकार पर व्यंग्य किया।

रीवा विधायक अभय मिश्रा का हमला – “कलेक्टर ईमानदार हैं तो मैं पोल खोल दूंगा”

रीवा जिले के सेमरिया से कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा ने अपने बयान में कहा कि अगर कलेक्टर प्रतिभा पाल खुद को ईमानदार बताती हैं, तो वे उनकी “पोल खोल देंगे”। मिश्रा ने कहा कि उन्होंने कलेक्टर की कार्यशैली के विरोध में सत्याग्रह और उपवास का ऐलान किया है। विधायक मिश्रा ने आरोप लगाया कि रीवा कलेक्टर मुख्यमंत्री की नहीं, बल्कि उप मुख्यमंत्री के निर्देशों पर काम करती हैं। उन्होंने कहा कि उनके क्षेत्र के कामों में बार-बार बाधा डाली जा रही है और उन्हें कार्यक्रमों से रोकने के लिए “हथकंडे” अपनाए जा रहे हैं।

उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनका विरोध व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था के खिलाफ है। “रीवा की सरकारी जमीनें लुट गईं, बिक गईं। गांधी जी की प्रेरणा से मैंने सत्याग्रह का रास्ता अपनाया है,” मिश्रा ने कहा। उन्होंने बताया कि जल्द ही बिजली बिलों के मुद्दे पर पार्टी से अनुमति लेकर बीस हजार लोगों के साथ बड़ा विरोध प्रदर्शन करेंगे।

सागर कलेक्टर के ट्वीट पर कांग्रेस प्रवक्ता का व्यंग्य

वहीं दूसरी ओर, सागर कलेक्टर संदीप जी.आर. के दशहरा शुभकामना संदेश ने भी राजनीतिक रंग ले लिया है। दरअसल, सागर कलेक्टर ऑफिस के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से दशहरा पर्व पर एक ट्वीट किया गया, जिसमें लिखा था — “यह पर्व सत्य पर असत्य की विजय, धर्म व न्याय की स्थापना तथा सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है।”

कांग्रेस नेता भूपेंद्र गुप्ता ने इस ट्वीट को लेकर सरकार और प्रशासन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि, “क्या अब एमपी में कलेक्टर भी यह स्वीकार कर रहे हैं कि राज्य में ‘असत्य की विजय’ हो रही है?” उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, “कहीं ऐसा तो नहीं कि एमपी की व्यवस्था की स्थिति देखकर कलेक्टर के मुंह से सच निकल गया हो।”

प्रदेश की राजनीति में अधिकारियों और नेताओं के बीच ऐसी तनातन पहले भी देखी जा चुकी है। कांग्रेस का आरोप है कि कुछ अफसर सत्ता के दबाव में काम कर रहे हैं, जबकि सरकार का पक्ष है कि प्रशासनिक अधिकारी केवल अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं।

विधायक अभय मिश्रा का यह बयान और भूपेंद्र गुप्ता की प्रतिक्रिया, दोनों ही प्रदेश में राजनीति और प्रशासन के बीच बढ़ती दूरी को उजागर करते हैं। हालांकि, अब तक न तो रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल और न ही सागर कलेक्टर संदीप जी.आर. की ओर से इस विवाद पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने आई है।

रीवा और सागर के मामलों ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या मध्यप्रदेश में अफसरशाही पर राजनीति हावी हो रही है, या नेता अपने प्रभाव क्षेत्र को बचाने के लिए अधिकारियों को निशाना बना रहे हैं? फिलहाल, दोनों जिलों में कांग्रेस के आरोपों के बाद माहौल गर्म है और राजनीतिक बयानबाज़ी का दौर जारी है।

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