जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
ग्वालियर साइबर पुलिस ने ठगी करने वाले एक बड़े अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया है, जिसने देश के पांच राज्यों में अपना नेटवर्क फैला रखा था। पुलिस गिरफ्त में आए सरगना मनीष गुप्ता (31) और उसके साथी दीपक कुमार (24) ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। पूछताछ में सामने आया कि बिहार के छपरा जिले में बाकायदा ‘ठगी सिखाने का इंस्टीट्यूट’ चलता है, जहां से मनीष ने इस अपराध की ट्रेनिंग ली थी। इसके बाद उसने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में फर्जी कॉल सेंटरों के जरिए करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी की।
सिर्फ 12वीं पास निकले ठग, मगर शिकार बने पढ़े-लिखे लोग
गिरोह का मास्टरमाइंड मनीष गुप्ता और उसका साथी दीपक केवल बारहवीं तक पढ़े हैं, लेकिन इनके जाल में इंजीनियरों और कॉरपोरेट कंपनियों में काम करने वाले अफसर तक फंस गए। मनीष ने कबूला कि उसने पांच राज्यों के करीब 25 शहरों में ठगी का नेटवर्क फैला रखा था। ग्वालियर साइबर पुलिस ने 6 सितंबर को दिल्ली से दोनों को गिरफ्तार किया था। अब उनकी रिमांड पूरी होने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा।
बेरोजगार युवाओं को 15 हजार वेतन पर रखता था गिरोह
मनीष गुप्ता बेरोजगार ग्रेजुएट युवाओं को कॉल सेंटर में नौकरी देने का लालच देकर 15-15 हजार रुपए वेतन पर रखता था। उनसे आधार कार्ड और बैंक अकाउंट की डिटेल्स अपने पास ले लेता और इन्हीं दस्तावेजों का इस्तेमाल ठगी के लिए करता। इन खातों के जरिए लाखों रुपए का लेन-देन किया जाता और आधार से फर्जी मोबाइल नंबर लिंक कराए जाते थे।
गूगल पर अपलोड किए जाते थे फर्जी नंबर और रिक्वेस्ट फॉर्म
गिरोह की कार्यप्रणाली बेहद चालाकी भरी थी। वे बड़ी कंपनियों और ब्रांड्स के नाम से गूगल पर हेल्पलाइन नंबर और रिक्वेस्ट फॉर्म अपलोड कर देते थे। जब भी कोई ग्राहक या फ्रेंचाइजी लेने वाला सर्च करता, तो ठगों द्वारा बनाया गया नकली फॉर्म खुलता। उसमें डिटेल भरते ही डेटा सीधे गिरोह तक पहुंच जाता। इसके बाद वे खुद को कंपनी का अधिकारी बताकर कॉल करते और रकम ऐंठ लेते।
कैडबरी फ्रेंचाइजी के नाम पर लाखों की ठगी
ग्वालियर निवासी प्रदीप सेन इस गिरोह का शिकार बने। उन्हें इंटरनेट पर कैडबरी चॉकलेट कंपनी की फ्रेंचाइजी का ऑफर दिखाया गया। जैसे ही उन्होंने सर्च किया, एक घंटे बाद उनके पास कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को कंपनी का प्रतिनिधि बताते हुए पॉलिसी समझाई और सिक्योरिटी डिपॉजिट के नाम पर 5.70 लाख रुपए ठग लिए।
सिर्फ मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि दिल्ली में भी एक कारोबारी से इसी तरीके से 20 लाख रुपए की ठगी की गई। पुलिस का कहना है कि चॉकलेट और फूड कंपनियों की फ्रेंचाइजी के नाम पर सबसे ज्यादा लोगों को निशाना बनाया गया।
पांच राज्यों में एजेंटों के जरिए निकाला जाता था पैसा
पुलिस जांच में सामने आया कि गिरोह ने अपनी पहचान छिपाने के लिए फर्जी दस्तावेज और सिम कार्ड तैयार कर रखे थे। उन्होंने बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में एजेंट बैठा रखे थे। ये एजेंट अलग-अलग खातों में पैसे जमा करवाते और फिर 20 मिनट के भीतर एटीएम से पूरा कैश निकाल लेते थे।
ग्वालियर साइबर पुलिस की एक साल की मेहनत
डीएसपी संजीव नयन शर्मा ने बताया कि ग्वालियर साइबर पुलिस पिछले एक साल से इस गैंग पर नजर बनाए हुए थी। अलग-अलग IP एड्रेस और लोकेशन्स को ट्रैक करने के बाद पुलिस टीम ने दिल्ली में दबिश दी और दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर ग्वालियर लाया। पूछताछ में अब तक कई अहम राज खुले हैं और पुलिस का दावा है कि जल्द ही पूरे नेटवर्क के और सदस्यों का खुलासा किया जाएगा।