ग्वालियर: पुलिस वर्दी की आड़ में ‘चोर गैंग’ का खुलासा, कॉन्स्टेबल समेत छह गिरफ्तार; लूट कर भाई के लिए जुटा रहा था जमानत के पैसे!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

ग्वालियर जिले की डबरा पुलिस ने एक ऐसे चोर गिरोह का पर्दाफाश किया है, जिसके तार सीधे पुलिस विभाग से जुड़े हैं। इस गिरोह का संचालन एक ऐसे कॉन्स्टेबल द्वारा किया जा रहा था, जो पुलिस की नौकरी के साथ-साथ चोरी की घटनाओं को अंजाम दे रहा था। इस चौंकाने वाले मामले में पुलिस ने एक कॉन्स्टेबल समेत कुल छह लोगों को गिरफ्तार किया है। चोरी गई स्कॉर्पियो कार, नकदी और जेवरात की बरामदगी के साथ-साथ इस गैंग के अपराधों की चेन भी सामने आ गई है।

कॉन्स्टेबल निकला मास्टरमाइंड, भाई के लिए जुटा रहा था जमानत के पैसे

गिरफ्तार आरोपी रवि जाटव ग्वालियर का रहने वाला है और फिलहाल राजगढ़ के कालीपीठ में पदस्थ था। जानकारी के मुताबिक, रवि का सगा भाई राहुल उर्फ गुठली पहले से उज्जैन जेल में एक व्यापारी से 18 लाख की लूट के मामले में बंद है। जेल में रहते हुए राहुल ने अन्य कैदियों से डींगें हांकी थीं कि उसका भाई पुलिस में है और जमानत दिलाने से लेकर कानूनी प्रक्रियाओं में मदद कर सकता है। इसी दंभ को पूरा करने के लिए रवि और उसके साथियों ने चोरी और डकैती की योजना बनाई।

एक ही रात में तीन वारदातें, CCTV फुटेज से खुली साजिश

11 जुलाई की रात डबरा शहर के तीन अलग-अलग इलाकों में चोरी की वारदातें हुईं — स्कॉर्पियो कार चोरी, घर से जेवर-नकदी उड़ाना और दो अन्य स्थानों पर चोरी की कोशिश। इन घटनाओं के बाद पुलिस ने जब शहर के तमाम CCTV कैमरों की पड़ताल की, तो चौंकाने वाले सुराग हाथ लगे। एक पेट्रोल पंप की फुटेज में चोरी गई स्कॉर्पियो दिखी, जिसमें कॉन्स्टेबल रवि की पहचान हो गई। इसके बाद पुलिस ने तत्काल उसे उसके सरकारी क्वार्टर से गिरफ्तार किया, जहां उसका साथी बॉबी बाथम भी मौजूद था।

20 सदस्यों वाला पारिवारिक ‘क्राइम नेटवर्क’

पुलिस जांच में सामने आया कि यह कोई साधारण गैंग नहीं, बल्कि एक आपस में रिश्तेदारों से बना संगठित अपराधी गिरोह है। गिरोह में करीब 20 लोग हैं – कोई भतीजा है, तो कोई फूफा। वीरेंद्र जाटव, मनोज जाटव, अरविंद, रविंद्र और बॉबी – ये सभी आरोपी आपस में या तो भाई हैं, या चाचा-भतीजा। मनोज और वीरेंद्र जाटव के पिता भी कुख्यात लुटेरे रहे हैं और इस समय जेल में बंद हैं। खास बात यह है कि इनमें से कई सदस्य पहले से चोरी और लूट के मामलों में सलाखों के पीछे जा चुके हैं।

रेकी कर बनाते थे प्लान, ड्राइविंग के लिए बुलाते थे पुलिसवाले को

गैंग की कार्यशैली भी किसी फिल्मी प्लॉट से कम नहीं थी। डबरा के इटावा होटल के पास किराए पर कमरा लेकर गैंग के सदस्य पहले रेकी करते थे। फिर सूने घरों को चिन्हित कर रात में वारदात को अंजाम देते। 11 जुलाई को जब गैंग एक घर में घुसी, तो उन्हें स्कॉर्पियो की चाबी मिल गई। लेकिन कोई गाड़ी चलाना नहीं जानता था। ऐसे में कॉन्स्टेबल रवि जाटव को राजगढ़ से बुलाया गया। रवि वेगनआर कार से पहुंचा, स्कॉर्पियो चलाकर शिवपुरी गया और वहां नंबर प्लेट बदलवाकर उसे सुरक्षित स्थान पर छिपा दिया।

पीछा करने पर छोड़ दी स्कॉर्पियो, जंगल से वेगनआर में भागे

CCTV के आधार पर स्कॉर्पियो की लोकेशन ट्रेस करते हुए पुलिस पीछे लग गई। खतरा भांपकर आरोपी स्कॉर्पियो को पनिहार के जंगलों में छोड़कर फरार हो गए। लेकिन पुलिस की पकड़ से वे ज्यादा देर दूर नहीं रह सके। रवि की वेगनआर कार ने उनका भांडा फोड़ दिया — यही गाड़ी उन्हें जंगल से लेकर राजगढ़ तक लाई थी।

चोरों से सोना खरीदने वाला सर्राफा व्यापारी भी गिरफ्तार

पुलिस ने सिर्फ चोरों को नहीं, बल्कि चोरी का माल खरीदने वाले सर्राफा व्यापारी को भी दबोच लिया है। इससे पहले बरामद हुए जेवरातों के जरिए इस अवैध चैन का खुलासा हुआ, जहां चोरी के माल को बाजार में बेचा जा रहा था।

गिरोह के खिलाफ दर्ज होंगे संगठित अपराध के मुकदमे

डबरा टीआई यशवंत गोयल ने बताया कि यह गैंग ग्वालियर, उज्जैन, मुरैना, शिवपुरी, भिंड और दतिया जैसे कई जिलों में अपराधों को अंजाम दे चुकी है। अब तक की जांच में इन पर दर्जनों वारदातों के तार जुड़े हैं। पुलिस इस गिरोह के खिलाफ संगठित अपराध अधिनियम के तहत मुकदमे दर्ज करने की तैयारी में है।

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