भोपाल में ‘समरसता सम्मेलन’: सीएम मोहन यादव बोले – “महर्षि वाल्मीकि ने रामायण के रूप में दी मानवता को अमर धरोहर”, कहा – “जब समाज प्रेम और एकता से चलता है, तब राष्ट्र सशक्त बनता है”

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

भोपाल के मानस भवन में रविवार को आयोजित ‘समरसता सम्मेलन’ में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने श्रीराम के जीवन चरित्र को ‘रामायण’ के रूप में रचकर मानवता को एक अमूल्य धरोहर दी है।
उन्होंने कहा — “महर्षि वाल्मीकि की रामायण केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है। इसमें समरसता केवल विचार नहीं, बल्कि जीता-जागता संदेश है।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीराम ने अपने जीवन से यह सिखाया कि ईश्वर की दृष्टि में सभी समान हैं। उन्होंने निषादराज से मित्रता, शबरी माता के प्रेम से झूठे बेर खाने और हनुमान सहित वानर सेना को परिवार की तरह अपनाने के माध्यम से सामाजिक समरसता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया।

“सच्ची समरसता वही, जहां सबमें परमात्मा का अंश देखा जाए”

डॉ. यादव ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का आचरण हमें सिखाता है कि सच्ची समरसता वहीं है, जहाँ सबमें परमात्मा का अंश देखा जाए। उन्होंने कहा — “महर्षि वाल्मीकि ने केवल श्रीराम का चरित्र नहीं लिखा, बल्कि उन्होंने मानवता का लेखन किया। रामायण सेवा, समरसता और करुणा का श्रेष्ठ उदाहरण है।”

मुख्यमंत्री ने बताया कि समाज के सतत विकास की पहली जरूरत सामाजिक समरसता है, जो सौहार्द, भाईचारे और अपनत्व की भावना से जन्म लेती है। उन्होंने कहा कि जब समाज प्रेम और एकता के साथ चलता है, तभी राष्ट्र सशक्त और समृद्ध बनता है।

वाल्मीकि की संघर्ष यात्रा बनी आदर्श

मुख्यमंत्री ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि की जीवन यात्रा — डाकू रत्नाकर से महर्षि वाल्मीकि बनने तक — आत्मसुधार और तपस्या की मिसाल है। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने श्रीराम के माध्यम से करुणा, निष्ठा, समानता और सेवा का संदेश दिया।
वाल्मीकि जी ने अनुसूईया माता, शबरी माता, निषादराज, हनुमान, बाली-सुग्रीव जैसे पात्रों के माध्यम से समाज में प्रेम, निष्ठा और आत्मीयता की भावना को जीवंत किया।

वाल्मीकि समाज की मांगें और सीएम की घोषणा

कार्यक्रम के दौरान वाल्मीकि समाजजनों ने सफाईकर्मियों को नियमित करने और समाज विकास से जुड़ी अन्य मांगें मुख्यमंत्री के समक्ष रखीं।
इस पर मुख्यमंत्री ने कहा —

“प्रदेश के सभी स्वच्छता मित्रों और सफाईकर्मियों का समग्र कल्याण हमारी जिम्मेदारी है। हमारा प्रयास है कि वाल्मीकि समाज के बच्चे पढ़-लिखकर डॉक्टर, इंजीनियर, वकील और अधिकारी बनें। सरकार उनके विकास में कोई कमी नहीं छोड़ेगी।”

“सामाजिक समरसता हमारी आत्मा में प्रवाहित है”

मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि और उनकी रामायण आज एक-दूसरे के पर्याय हैं। रामायण ने न केवल श्रीराम कथा को अमर किया, बल्कि भारतीय संस्कृति के आदर्शों को भी अमरत्व प्रदान किया।
उन्होंने कहा — “सामाजिक समरसता हमारे लिए कोई बाध्यता नहीं, बल्कि यह हमारी आत्मा और संस्कारों में प्रवाहित है। हमारे ऋषि-मुनियों ने सिखाया कि हम सुधरेंगे तो जग सुधरेगा — यही समरसता का सच्चा अर्थ है।”

बालयोगी उमेशनाथ महाराज बोले — “रामायण ने दिया सामाजिक एकता का संदेश”

राज्यसभा सांसद एवं पीठाधीश्वर श्री क्षेत्र वाल्मीकि धाम उज्जैन, श्री बालयोगी उमेशनाथ महाराज ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने रामायण के माध्यम से भगवान श्रीराम के जीवन को जन-जन तक पहुँचाया।
उन्होंने कहा कि श्रीराम ने केवट को गले लगाकर और शबरी के झूठे बेर खाकर सामाजिक समरसता का सर्वोच्च उदाहरण दिया।
महाराज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी स्वच्छता और समरसता के भाव को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने स्वयं झाड़ू उठाकर ‘स्वच्छ भारत मिशन’ का संदेश दिया, और मुख्यमंत्री मोहन यादव इस भावना को मध्यप्रदेश में निरंतर गति प्रदान कर रहे हैं।

कार्यक्रम में हुआ सामूहिक सहभोज और सम्मान समारोह

कार्यक्रम की शुरुआत मुख्यमंत्री डॉ. यादव और श्री बालयोगी उमेशनाथ महाराज ने दीप प्रज्ज्वलन से की। इसके बाद अखिल भारतीय वाल्मीकि सनातन धर्मसभा एवं मध्यप्रदेश वाल्मीकि एकता संघ द्वारा मुख्यमंत्री को महर्षि वाल्मीकि जी का चित्र, रामायण और अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के बाद वाल्मीकि समाज के सदस्यों के साथ सहभोज भी किया।

कार्यक्रम में विधायक भगवानदास सबनानी, नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी, प्रमुख सचिव डॉ. ई. रमेश कुमार, आयुक्त सौरभ कुमार सुमन, और समाज के अनेक गणमान्य सदस्य मौजूद रहे।

समरसता सम्मेलन का उद्देश्य

यह सम्मेलन अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य समाज में सामाजिक एकता और समरसता को बढ़ावा देना और महर्षि वाल्मीकि के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाना था, ताकि समाज में समानता, भाईचारे और करुणा की भावना को सशक्त किया जा सके।

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