जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश सरकार के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिए गए विवादित बयान का मामला अब सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में है। सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय इस केस की सुनवाई करेगा, जिसमें विशेष जांच दल (SIT) अपनी स्टेटस रिपोर्ट अदालत के समक्ष रखेगा। रिपोर्ट में उस वीडियो की जांच रिपोर्ट भी शामिल होगी, जिसमें मंत्री के कथित आपत्तिजनक बयान दर्ज हैं।
दरअसल, यह मामला तब सामने आया जब विजय शाह ने 11 मई को इंदौर ज़िले के महू क्षेत्र के रायकुंडा गांव में एक कार्यक्रम के दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर आयोजित ‘हलमा’ कार्यक्रम में शाह ने बेहद विवादास्पद भाषा का प्रयोग किया, जिससे न केवल राजनीतिक बल्कि सैन्य और सामाजिक हलकों में भी तीखी प्रतिक्रिया हुई। उन्होंने कहा था कि “उन्होंने कपड़े उतार-उतार कर हमारे हिंदुओं को मारा और मोदी जी ने उनकी बहन को उनकी ऐसी की तैसी करने उनके घर भेजा…” यह बयान सोशल मीडिया और न्यूज प्लेटफॉर्म्स पर वायरल हो गया।
इस बयान के सामने आते ही देशभर में हंगामा मच गया। सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए 19 मई को सख्त रुख अपनाया और एसआईटी गठित कर 20 मई से जांच शुरू करने का आदेश दिया। साथ ही मंत्री विजय शाह को भी तलब किया गया था।
SIT की जांच प्रक्रिया और अब तक की कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनाई गई तीन सदस्यीय एसआईटी में प्रमोद वर्मा (तत्कालीन IG, सागर रेंज), कल्याण चक्रवर्ती (SAF DIG) और डिंडोरी की SP वाहिनी सिंह को शामिल किया गया। जांच के लिए इंदौर के बाणगंगा क्षेत्र के सरकारी विश्रामगृह को बेस कैंप बनाया गया, जहाँ से 5 दिन तक बयान दर्ज करने की प्रक्रिया चली।
जांच में अब तक 125 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं, जिनमें आम नागरिकों से लेकर कार्यक्रम आयोजकों, छात्रों, NCC कैडेट्स, वॉलंटियर्स, पत्रकारों और मंच पर मौजूद नेताओं के नाम शामिल हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि उस कार्यक्रम में मौजूद वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व मंत्री ऊषा ठाकुर का भी बयान लिया गया। इसके अलावा डॉ. भीमराव अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति और जनपद पंचायत की अध्यक्ष दीपमाला रावत के भी बयान रिकॉर्ड किए गए हैं।
कार्यक्रम में मौजूद एक पत्रकार ने ही वह वीडियो रिकॉर्ड किया था, जिसे अब इलेक्ट्रॉनिक फॉरेंसिक विश्लेषण के लिए भेजा गया है। वीडियो की जांच रिपोर्ट और घटनास्थल के चश्मदीदों के बयानों को मिलाकर एक समेकित स्टेटस रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसे सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाएगा।
इस पूरे प्रकरण ने मध्यप्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। जहां एक ओर विपक्ष लगातार विजय शाह के इस्तीफे की मांग कर रहा है, वहीं राज्य सरकार और बीजेपी इस मामले पर अब तक बचाव की मुद्रा में नज़र आ रही है। मंत्री विजय शाह से 19 जुलाई को जबलपुर में करीब 25 मिनट तक पूछताछ की गई, जिसमें SIT ने 8-10 सवाल पूछे और उनका विस्तृत बयान दर्ज किया।
कर्नल सोफिया कुरैशी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह और विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी विक्रम मिसरी, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बाद साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, उनके विरुद्ध इस तरह की भाषा का प्रयोग एक असंवेदनशील और गैर-जिम्मेदाराना आचरण माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई शुरुआती टिप्पणी में इस बयान को बेहद आपत्तिजनक करार दिया गया और निर्देश दिए गए कि इस तरह के मामलों में कोई ढील न दी जाए। अदालत ने स्पष्ट किया कि जांच की निष्पक्षता सर्वोपरि होगी, चाहे वह कोई मंत्री हो या आम नागरिक।
क्या हो सकता है अगला कदम?
अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं, जहाँ SIT की स्टेटस रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो सकता है कि क्या मंत्री विजय शाह के बयान में कानूनी तौर पर अपराध की श्रेणी में आने वाले तथ्य मौजूद हैं। यदि ऐसा पाया गया, तो मंत्री पर FIR दर्ज होने से लेकर न्यायिक प्रक्रिया तक का रास्ता खुल सकता है।