भारतीय वायुसेना का ‘उड़ता ताबूत’ मिग-21 अब इतिहास बनेगा: 19 सितंबर को चंडीगढ़ एयरबेस से रिटायर होगा देश का पहला सुपरसोनिक जेट, तेजस लेगा स्थान!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

भारतीय वायुसेना का सबसे लंबे समय तक सेवा में रहा फाइटर जेट मिग-21 अब इतिहास बनने जा रहा है। 19 सितंबर 2025 को चंडीगढ़ एयरबेस पर आयोजित एक औपचारिक समारोह में इस जेट को अंतिम विदाई दी जाएगी। इसके साथ ही मिग-21 की वह गूंज, जिसने वर्षों तक भारत के आसमान की सुरक्षा को नई ऊंचाई दी, आधिकारिक रूप से शांत हो जाएगी।

1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया मिग-21 न केवल भारत का पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट था, बल्कि यह उस दौर की तकनीकी क्रांति का प्रतीक भी बना, जब भारत तेज गति से रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा था। ध्वनि की गति से अधिक तेज़ उड़ान भरने में सक्षम यह विमान उस समय के लिए एक साहसिक तकनीकी छलांग थी।

वर्तमान में मिग-21 की सिर्फ दो स्क्वाड्रन ही सेवा में बची हैं, जो राजस्थान के बीकानेर स्थित नाल एयरबेस पर तैनात हैं। इन्हें “नंबर 3 कोबरा” और “नंबर 23 पैंथर्स” स्क्वाड्रन के नाम से जाना जाता है। मिग-21 की सेवानिवृत्ति के बाद इनकी जगह स्वदेशी रूप से विकसित तेजस Mk1A फाइटर जेट लेंगे, जो आधुनिक तकनीक और उन्नत क्षमताओं से लैस हैं।

अपने गौरवशाली सफर के दौरान मिग-21 ने भारत के कई ऐतिहासिक सैन्य अभियानों में अग्रणी भूमिका निभाई। 1965 के भारत-पाक युद्ध से लेकर 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम तक, और 1999 के कारगिल युद्ध से लेकर 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक तक — मिग-21 हर मोर्चे पर डटा रहा। खास तौर पर बालाकोट ऑपरेशन के दौरान विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान के मिग-21 बाइसन ने पाकिस्तानी एफ-16 को मार गिराकर इतिहास रच दिया, हालांकि इस दौरान उनका विमान भी क्रैश हो गया और वे पाकिस्तान की हिरासत में चले गए। लेकिन उनका सुरक्षित लौटना देश के लिए एक बड़ी जीत साबित हुआ।

हालांकि इस फाइटर जेट का इतिहास जितना गौरवशाली रहा, उतना ही विवादों से भी घिरा रहा। रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अब तक 400 से अधिक मिग-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं, जिनमें 200 से अधिक पायलटों ने अपनी जान गंवाई है। इस वजह से मिग-21 को अक्सर ‘उड़ता ताबूत’ और ‘विडो मेकर’ जैसे खतरनाक उपनामों से भी पुकारा गया। अकेले 2021 के बाद मिग-21 सात बार हादसों का शिकार हुआ — जिनमें राजस्थान, पंजाब और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में पायलटों की जान गई या वे गंभीर रूप से घायल हुए।

भारत ने 900 मिग-21 जेट्स खरीदे थे, जिनमें से 660 देश में ही हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित किए गए थे। अब देश के बेड़े में मात्र 36 मिग-21 बचे हैं, जिन्हें धीरे-धीरे सेवा से हटाया जा रहा है। ये विमान दशकों तक भारतीय वायुसेना की रीढ़ बने रहे, लेकिन बदलते वक्त के साथ इनकी तकनीकी सीमाएँ और सुरक्षा चुनौतियाँ इन्हें अब एक सीमित उपयोग वाले विमान बना चुकी हैं।

रूस और चीन के बाद भारत मिग-21 का तीसरा सबसे बड़ा ऑपरेटर रहा है। 1985 में रूस ने इस विमान का निर्माण बंद कर दिया था, लेकिन भारत ने इसके उन्नत संस्करणों का प्रयोग जारी रखा। शुरुआती दौर में रूस से आयातित और बाद में भारत में असेंबल किए गए इस विमान ने न सिर्फ आकाश को सुरक्षित रखा, बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता की उड़ान को भी रफ्तार दी।

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