जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भारत अंतरिक्ष विज्ञान में लगातार नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है, और अब एक और ऐतिहासिक क्षण सामने आया है। ISRO के अध्यक्ष वी. नारायणन ने रविवार को घोषणा की कि केंद्र सरकार ने चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी दे दी है! यह मिशन भारत की चंद्र अन्वेषण यात्रा में एक और महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
चंद्रयान-5: चंद्रमा पर बड़े लक्ष्यों की ओर!
नारायणन ने बताया कि चंद्रयान-5 मिशन में जापान भारत का सहयोगी होगा।
- चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर का वजन 25 किलोग्राम था, लेकिन चंद्रयान-5 के तहत 250 किलोग्राम वजनी रोवर चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेगा।
- यह मिशन चंद्रमा की संरचना, उसकी सतह और खनिज संसाधनों का गहराई से अध्ययन करेगा।
चंद्रयान-4: चंद्रमा की मिट्टी धरती पर लाने का मिशन!
बता दें, ISRO 2027 में चंद्रयान-4 मिशन लॉन्च करने जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह से नमूने इकट्ठा कर उन्हें धरती तक लाना है।
- इस मिशन की लागत 2104 करोड़ रुपये होगी।
- इसमें पांच मॉड्यूल होंगे, जो चंद्रमा की सतह से नमूने उठाने, उन्हें सुरक्षित रखने और धरती तक पहुंचाने का कार्य करेंगे।
- LVM-3 और PSLV रॉकेट इस मिशन के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे।
चंद्रयान-4 के तहत,
- पहले दो मॉड्यूल चंद्रमा की सतह पर उतरेंगे और नमूने इकट्ठा करेंगे।
- फिर एक मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में लौटकर मुख्य स्पेसक्राफ्ट से जुड़ेगा।
- इसके बाद यह मॉड्यूल सुरक्षित रूप से धरती पर लौटेगा।
वहीं, साल 2025 में भारत अपने पहले मानव मिशन “गगनयान” को अंजाम देगा। इस मिशन में 3 भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी से 400 किलोमीटर ऊपर भेजा जाएगा, जहां वे तीन दिनों तक अंतरिक्ष में रहेंगे। ISRO ने 2024 के स्वतंत्रता दिवस पर गगनयान एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग का वीडियो जारी किया था, जिसमें उन्हें ज़ीरो ग्रेविटी और अन्य अंतरिक्ष परिस्थितियों में प्रशिक्षण लेते देखा गया था। इसके अलावा भारत का सपना अब चांद और मंगल से आगे बढ़कर अपना खुद का स्पेस स्टेशन स्थापित करने की ओर है। 2028 में पहला मॉड्यूल लॉन्च किया जाएगा, और इसके बाद कुल पांच मॉड्यूल होंगे। यह स्टेशन अंतरिक्ष में भारतीय एस्ट्रोनॉट्स का स्थायी ठिकाना बनेगा और वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए एक प्रमुख केंद्र होगा।
ISRO के अगले सबसे बड़े लक्ष्यों में से एक है 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजना। अब तक केवल अमेरिका ने ही यह कारनामा किया है, लेकिन भारत भी इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। चीन 2030 तक अपने एस्ट्रोनॉट्स को चांद पर भेजने की योजना बना रहा है, और भारत उससे भी आगे निकलने की तैयारी कर रहा है। ISRO मार्च 2028 में वीनस ऑर्बिटर मिशन (VOM) लॉन्च करेगा। 1,236 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह मिशन शुक्र ग्रह के वायुमंडल, उसकी सतह और सूर्य के प्रभावों का अध्ययन करेगा।