जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
इंदौर में यूथ कांग्रेस के दो पदाधिकारियों, पूर्व प्रदेश प्रवक्ता अमित पटेल और महू विधानसभा क्षेत्र अध्यक्ष गजेंद्र सिंह के निलंबन ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष मितेंद्र यादव के इस फैसले पर विवाद के बाद यूथ कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी शेष नारायण ओझा ने निलंबन आदेश पलटते हुए मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
29 नवंबर को यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु चिब के स्वागत के दौरान, पूर्व विधायक विपिन वानखेड़े और प्रदेश अध्यक्ष मितेंद्र यादव के बीच तीखी कहासुनी हो गई थी। दरअसल, भानु चिब के इंदौर दौरे के दौरान, वानखेड़े उन्हें अपनी कार में ले जाना चाहते थे, जबकि यादव समर्थकों का कहना था कि प्रोटोकॉल के तहत भानु को प्रदेश अध्यक्ष की कार में बैठना था। इस बात पर दोनों गुट आपस में भिड़ गए। इसके बाद यादव ने वानखेड़े समर्थक पटेल और गजेंद्र सिंह को निलंबित कर दिया।
निलंबित नेताओं ने आरोप लगाया कि वे विवाद में शामिल ही नहीं थे। अमित पटेल, जो खाती समाज से आते हैं, का कहना है, “जिस कांग्रेस नेता के साथ मारपीट हुई है, मैं तो खुद उन्हें बचाता हुआ वीडियो में नजर आ रहा हूं।” वहीं, इंदौर विधानसभा-दो पार्षद और अमित पटेल की पत्नी ने भी इस निलंबन को अन्यायपूर्ण बताया है।
हालांकि कांग्रेस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस निलंबन से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह सहित अन्य नेता भी सहमत नहीं थे। क्योंकि किसी भी वीडियो में पटेल द्वारा मारपीट करने का कोई सबूत नहीं मिला था। वहीं, अब मामले के गरमाने के बाद ओझा ने निलंबन पर रोक लगाकर जांच के लिए एक कमेटी गठित की है। अब देखना यही होगा कि जांच रिपोर्ट आने के बाद वरिष्ठ नेताओं का अंतिम फैसला क्या होता है।