जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्य प्रदेश के सतना जिले से एक दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है, जिसने समाज की संवेदनशीलता और प्रशासनिक सक्रियता दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सतना जिला अस्पताल परिसर में एक ग्रामीण युवक की इस कदर बेरहमी से पिटाई की गई कि उसका चेहरा और शरीर जगह-जगह से लहूलुहान हो गया। हैरानी की बात यह है कि उस पर चोरी का सिर्फ शक था – कोई ठोस प्रमाण नहीं, कोई पूछताछ नहीं – बस शक के आधार पर भीड़ ने उसे निशाना बना लिया।
भाई से मिलने आया था अस्पताल, बन गया हिंसा का शिकार
मिली जानकारी के अनुसार युवक अस्पताल में भर्ती अपने किसी परिजन से मिलने आया था। वह गरीब और बेहद सामान्य कपड़ों में था। इसी दौरान कुछ लोगों को उस पर चोरी का संदेह हुआ और बिना किसी पुष्टि के, उन्होंने उस पर लाठियों और घूंसों से हमला बोल दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, युवक चीख-चीख कर कहता रहा कि वह चोर नहीं है, लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी।
जेब से निकली दो रोटियां और नमक – भीड़ हुई शर्मसार
भीड़ का उग्र रूप तब कुछ पल को शांत हुआ जब पिटाई के बाद युवक की तलाशी ली गई। उसकी जेब से कुछ भी कीमती नहीं, बल्कि सिर्फ दो सूखी रोटियां और नमक की एक पुड़िया निकली। यह देखकर मौके पर मौजूद कई लोगों के चेहरे पर शर्म की लकीरें साफ नजर आईं। मगर हालात इतने अमानवीय थे कि शर्मिंदगी भी हमलावरों को रोक न सकी – वे चुपचाप वहां से फरार हो गए।
घटना की सूचना पुलिस को दी गई, लेकिन अब तक किसी भी हमलावर के खिलाफ ठोस कार्रवाई की खबर नहीं है। घायल युवक को उसी अस्पताल में भर्ती किया गया है, जहां उसके साथ यह अमानवीयता हुई। स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश है। ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर कोई अपराध होता भी है, तो उसके लिए कानून है – भीड़तंत्र को सजा देने का अधिकार किसने दिया?