MP बीजेपी के माथे पर चिंता की लकीरें: मध्य प्रदेश उपचुनावों ने बढ़ाई सियासी हलचल, बीना में उपचुनाव को लेकर चर्चाएं तेज

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

बीजेपी भले ही महाराष्ट्र में अपनी बंपर जीत का जश्न मना रही हो, लेकिन मध्य प्रदेश के हालिया उपचुनावों के नतीजों ने बीजेपी के संगठन और पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं के लिए चिंता की नई लकीरें खींच दी हैं। खासकर सागर जिले के बीना विधानसभा सीट को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।

दरअसल, बीना की कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से बीजेपी में शामिल होने का ऐलान किया है, लेकिन कांग्रेस विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है, अब सियासी दांवपेंच में फंसी हुई हैं। सप्रे की इस स्थिति को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं, खासकर अगर बीना में उपचुनाव होते हैं। इस बात की संभावना जताई जा रही है कि उन्हें रामनिवास रावत जैसी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, जो विजयपुर चुनाव में बीजेपी के लिए गहरी चोट साबित हुई थी।

ऐसे में बीना में संभावित उपचुनाव को लेकर स्थिति और भी पेचीदी हो गई है। निर्मला सप्रे के कांग्रेस से इस्तीफा न देने और बीजेपी के कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद विधानसभा स्पीकर ने अभी तक इस मामले में कोई फैसला नहीं लिया है। वहीं, कांग्रेस पार्टी अब हाई कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है। इस सियासी उलझन में निर्मला सप्रे को दोनों ही दलों से स्वीकार्यता का संकट उठाना पड़ रहा है। बीजेपी कार्यकर्ता उन्हें अपनाने के लिए तैयार नहीं हैं, वहीं कांग्रेस उन्हें फिर से साथ लेने के मूड में नहीं है। हालाँकि राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर बीना में उपचुनाव होते हैं, तो वहां भी विजयपुर जैसा परिणाम देखने को मिल सकता है, जहां बीजेपी को हार का सामना करना पड़े और सियासी समीकरण एक बार फिर से बदल जाएं।

बता दें, विजयपुर और बुधनी विधानसभा उपचुनावों के नतीजों ने पार्टी को अंदर से हिला दिया है। विजयपुर में कांग्रेस के मुकेश मल्होत्रा ने बीजेपी के वन मंत्री रामनिवास रावत को 7,000 से अधिक मतों से हराया, जबकि बुधनी में बीजेपी प्रत्याशी रमाकांत भार्गव की जीत 13,000 मतों से हुई। इन परिणामों ने बीजेपी की चोटी पर बैठे नेताओं को गंभीरता से सोचने पर मजबूर कर दिया है।

फिलहाल, बीजेपी के लिए यह स्थिति जटिल होती जा रही है, क्योंकि निर्मला सप्रे और बीना उपचुनाव की स्थिति दोनों ही बीजेपी के लिए चिंता का विषय बन चुकी हैं। अब यह देखना होगा कि बीजेपी इस राजनीतिक दांवपेंच से कैसे निपटती है और क्या सप्रे को बीना में एक राजनीतिक ताज हासिल करने का मौका मिलेगा।

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