सिर्फ 20 मिनट चली लोकसभा की कार्यवाही, अब 28 जुलाई तक स्थगन: गांधी प्रतिमा से मकर द्वार तक राहुल-खड़गे ने SIR को लेकर पैदल मार्च निकाला, सभी नेताओं ने “SIR” लिखे हुए पोस्टर फाड़े!

You are currently viewing सिर्फ 20 मिनट चली लोकसभा की कार्यवाही, अब 28 जुलाई तक स्थगन: गांधी प्रतिमा से मकर द्वार तक राहुल-खड़गे ने SIR को लेकर पैदल मार्च निकाला, सभी नेताओं ने “SIR” लिखे हुए पोस्टर फाड़े!

जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

नई संसद भवन के मकर द्वार पर शुक्रवार को जो नज़ारा देखने को मिला, उसने न सिर्फ लोकतांत्रिक संवाद की सीमाओं को दिखाया, बल्कि सत्ता और विपक्ष के बीच गहराते टकराव की तस्वीर भी पेश की। संसद के मानसून सत्र के पांचवें दिन विपक्ष ने बिहार में हो रहे स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) – यानी वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन प्रक्रिया – को लेकर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत तमाम विपक्षी सांसदों ने गांधी प्रतिमा से नए संसद भवन के मुख्य द्वार तक पैदल मार्च निकाला। मकर द्वार पर पहुँचते ही सभी नेताओं ने “SIR” लिखे हुए पोस्टर फाड़े और प्रतीकात्मक तौर पर उन्हें डस्टबिन में फेंका। नारों में तीखी चेतावनी थी — “मोदी सरकार हाय-हाय!”

इस प्रदर्शन की गूंज संसद के भीतर भी सुनाई दी। लोकसभा और राज्यसभा – दोनों ही सदनों में भारी शोरगुल और नारेबाज़ी के बीच सिर्फ 20 मिनट की कार्यवाही हो पाई। नतीजतन लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को 28 जुलाई तक के लिए कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। इसी दिन सदन में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विस्तृत चर्चा भी तय की गई है, जिसके लिए 16 घंटे का समय निर्धारित किया गया है।

राज्यसभा में भी यही स्थिति बनी रही। सुबह 11 बजे शुरू हुई कार्यवाही महज कुछ मिनटों में बाधित हो गई। दोपहर 12 बजे दोबारा जब बैठक शुरू हुई, विपक्ष के हंगामे ने सदन को फिर बाधित किया और अंततः राज्यसभा को भी 28 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

इस विरोध के केंद्र में SIR यानी वोटर लिस्ट पुनरीक्षण प्रक्रिया है। विपक्ष का आरोप है कि इसके ज़रिए सरकार गरीब और वंचित तबकों के वोटर कार्ड रद्द करवा रही है, जिससे उनका संवैधानिक अधिकार छीना जा सके। राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तीखा हमला बोलते हुए कहा – “वे गरीबों को वोट देने से वंचित करना चाहते हैं और सिर्फ एलीट क्लास को मतदान की छूट देना चाहते हैं। यह संविधान का सीधा उल्लंघन है, हमारी लड़ाई जारी रहेगी।”

सरकार की ओर से हालांकि अलग ही कोशिश दिखी। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने खुद राहुल गांधी और खड़गे से मुलाकात कर सदन को शांतिपूर्वक चलाने का अनुरोध किया। लेकिन विपक्ष अड़ा रहा।

इस बीच एक और बड़ा फैसला राज्यसभा में लिया गया — मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को 6 महीने और बढ़ा दिया गया है, जो अब 13 अगस्त 2025 से लागू रहेगा। गृहमंत्री अमित शाह ने इस प्रस्ताव को सदन में पेश किया, जिसे पास कर दिया गया। आपको याद दिला दें कि 13 फरवरी 2025 को राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था।

Leave a Reply