जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश सरकार राज्य को आर्थिक और औद्योगिक रूप से सशक्त बनाने के संकल्प के साथ कई ऐतिहासिक कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में निवेशकों को आकर्षित करने, नगरों को सुव्यवस्थित रूप से विकसित करने और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए बड़े फैसले लिए गए हैं।
राज्य में दो महानगर क्षेत्र (मेट्रोपॉलिटन एरिया) विकसित किए जा रहे हैं, जिससे न केवल औद्योगिक और व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि शहरी विकास को भी नई दिशा मिलेगी।
- पहला इंदौर-उज्जैन-देवास-धार को मिलाकर विकसित किया जा रहा है, जिससे यह क्षेत्र एक मजबूत आर्थिक केंद्र के रूप में उभरेगा।
- दूसरा भोपाल-सीहोर-रायसेन-विदिशा-ब्यावरा (राजगढ़) को मिलाकर एक संगठित और सुव्यवस्थित मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के रूप में तैयार किया जा रहा है।
इनका उद्देश्य राज्य में औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देना, बुनियादी ढांचे को मजबूत करना और रोजगार के नए अवसर पैदा करना है। जिससे मध्यप्रदेश अब सिर्फ कृषि प्रधान राज्य नहीं, बल्कि एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है।
क्षेत्रीय आर्थिक विकास केंद्र – रोजगार और व्यापार के नए अवसर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप, राज्य सरकार ने प्रदेश के छह प्रमुख संभागीय मुख्यालयों – ग्वालियर, सागर, रीवा, जबलपुर, नर्मदापुरम और शहडोल – को ‘रीजनल इकॉनमिक ग्रोथ हब’ के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और स्थानीय स्तर पर व्यापार और निवेश के नए अवसर खुलेंगे।
इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में भूमि एक बहुमूल्य संसाधन है, जिसका सुनियोजित उपयोग नगरीय विकास के लिए अनिवार्य है। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने ट्रांसफर ऑफ डेवलपमेंट राइट्स (TDR) नियम बनाए हैं और इसके लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की गई है।
✅ TDR पोर्टल के माध्यम से भवन निर्माता और संपत्ति मालिक विकास अधिकारों का हस्तांतरण कर सकते हैं।
✅ इसे डिजिटल और पारदर्शी तरीके से लागू किया गया है, जिससे उन्हें मुआवजे के रूप में अतिरिक्त निर्माण क्षमता प्राप्त होती है।
✅ यह प्रणाली नगरीय क्षेत्र में सुव्यवस्थित विकास सुनिश्चित करेगी और अव्यवस्थित विस्तार को रोकेगी।
बता दें, राज्य सरकार इंटीग्रेटेड टाउनशिप पॉलिसी के तहत ग्रीन FAR कॉन्सेप्ट लेकर आई है। इस पहल के तहत हरित क्षेत्र, वुड़ेड क्षेत्र (वनस्पति क्षेत्र) और सिटी फॉरेस्ट का विकास किया जाएगा।
➡️ शहरों में हरियाली को बढ़ावा मिलेगा
➡️ पर्यावरण संतुलन बना रहेगा
➡️ सतत विकास (Sustainable Development) को नई दिशा मिलेगी
इंटीग्रेटेड टाउनशिप पॉलिसी – 2025
राज्य सरकार ने सुव्यवस्थित और आधुनिक नगरों के विकास के लिए ‘इंटीग्रेटेड टाउनशिप पॉलिसी-2025’ लागू की है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य निजी और सार्वजनिक भागीदारी (PPP मॉडल) के तहत स्व-निर्भर टाउनशिप विकसित करना है।
🔹 बेहतर बुनियादी सुविधाएं
🔹 हरित और पर्यावरण अनुकूल आवासीय क्षेत्र
🔹 स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और सुव्यवस्थित नगर नियोजन
🔹 भूमि मालिकों को उचित मुआवजा और विकास में भागीदारी का अवसर
भूमि पूलिंग कॉन्सेप्ट के तहत भूमि स्वामियों को न केवल उचित मुआवजा मिलेगा, बल्कि उन्हें विकसित भूमि में साझेदारी करने का अवसर भी मिलेगा।
स्वचालित भवन अनुमति प्रणाली – पारदर्शिता और जवाबदेही
राज्य सरकार ने भवन निर्माण अनुमति प्रक्रिया को सरल, तेज और पारदर्शी बनाने के लिए ऑटोमेटिक बिल्डिंग परमिशन एंड अप्रूवल सिस्टम विकसित किया है।
📌 अब तक 2 लाख 60 हजार से अधिक भवन निर्माण आवेदनों को स्वीकृत किया जा चुका है।
📌 इस प्रणाली से भ्रष्टाचार और लालफीताशाही में कमी आएगी।
📌 निर्माण प्रक्रिया सुगम और व्यवस्थित होगी।