भोपाल में ‘महाक्रांति रैली’: अस्थायी, आउटसोर्स और अंशकालीन कर्मचारियों का सरकार के खिलाफ बिगुल – “अब वादे नहीं, अधिकार चाहिए!”

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

भोपाल के डॉ. भीमराव आंबेडकर पार्क (तुलसी नगर) में रविवार को मध्य प्रदेश के विभिन्न विभागों के अस्थायी, आउटसोर्स और अंशकालीन कर्मचारियों ने एकजुट होकर सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। यह आंदोलन ‘महाक्रांति रैली’ के नाम से आयोजित किया गया, जिसमें बैंक मित्र, पंचायत चौकीदार, पंप ऑपरेटर, अंशकालीन भृत्य, राजस्व सर्वेयर और अन्य संविदा कर्मचारी शामिल हुए।

इस रैली का आयोजन ‘आल डिपार्टमेंट आउटसोर्स, अस्थायी, अंशकालीन, ग्राम पंचायत कर्मचारी संयुक्त मोर्चा मध्यप्रदेश’ के बैनर तले किया गया। संगठन ने इसे प्रदेश के अस्थायी और अनुबंध कर्मचारियों की “साझा आवाज़” बताया।

“हम केवल वादे नहीं, अधिकार की गारंटी चाहते हैं”

संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने कहा कि यह आंदोलन किसी एक वर्ग का नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के उन कर्मचारियों का है जो वर्षों से अस्थिर रोजगार और आर्थिक असमानता झेल रहे हैं। उन्होंने कहा,

“सरकार को यह समझना होगा कि कर्मचारियों की मेहनत और निष्ठा का सम्मान ही सुशासन की पहचान है। हम केवल वादे नहीं, अपने अधिकार की गारंटी चाहते हैं।”

शर्मा ने आरोप लगाया कि प्रदेश में सरकारी व्यवस्थाएं अब ठेकेदारों और आउटसोर्स कंपनियों के भरोसे चल रही हैं। क्लास-3 और क्लास-4 पदों पर स्थायी भर्तियां लगभग बंद हैं, जबकि इन पदों पर सबसे अधिक नौकरियों की जरूरत होती है। पंचायतों में चौकीदारों को केवल ₹3,000 मासिक वेतन मिलता है, वहीं सीएम राइज स्कूलों, वल्लभ भवन और सतपुड़ा भवन जैसी जगहों पर भी नियुक्तियां ठेके पर की जा रही हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला

मोर्चा ने हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के 19 अगस्त 2025 के आदेश का भी जिक्र किया। अदालत ने कहा था कि लंबे समय से कार्यरत अस्थायी और आउटसोर्स कर्मियों से कम वेतन पर समान कार्य लेना ‘श्रमिक शोषण’ है। कोर्ट ने यह भी माना कि समान कार्य करने वाले कर्मचारियों को समान वेतन और सामाजिक सुरक्षा मिलना उनका संवैधानिक अधिकार है।

वासुदेव शर्मा ने बताया कि इस फैसले से प्रदेश के लाखों कर्मियों में नई उम्मीद जगी है। उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार न्यूनतम वेतन ₹21,000 प्रति माह तय करे और समान कार्य के लिए समान वेतन नीति को लागू करे।

“25 साल से नौकरी, फिर भी सिर्फ ₹2,000 वेतन”

प्रदर्शन में शामिल रामनिवास केवट, जो पिछले 25 सालों से ग्राम पंचायत में चौकीदार हैं, ने बताया कि उन्होंने ₹300 महीने से नौकरी शुरू की थी, और अब 25 साल बाद भी सिर्फ ₹2,000 वेतन मिलता है। इतना ही नहीं, भुगतान में भी 5-6 महीने की देरी होती है।
रामनिवास ने कहा, “परिवार में पाँच लोग हैं — बच्चों की पढ़ाई, बुजुर्ग पिता की दवा, और रोजमर्रा के खर्च पूरे करना अब असंभव होता जा रहा है। कई बार खाने तक के लाले पड़ जाते हैं।”

दो साल बाद मिली प्रदर्शन की अनुमति

संयुक्त मोर्चा के संयोजक मंडल ने बताया कि इस आंदोलन की तैयारी दो साल से चल रही थी, लेकिन प्रशासन की अनुमति अब जाकर मिली। भोपाल पुलिस ने 12 अक्टूबर के लिए प्रदर्शन की अनुमति दी। इससे पहले 2023 में इसी तरह का बड़ा प्रदर्शन हुआ था।

ये प्रमुख कर्मचारी नेता रहे मौजूद

रैली में कई संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए —

  • रजत शर्मा, अध्यक्ष, बैंक मित्र संगठन

  • वीरेंद्र गोस्वामी, अध्यक्ष, राजस्व सर्वेयर संघ

  • राजभान रावत, अध्यक्ष, पंचायत चौकीदार संघ

  • उमाशंकर पाठक, अध्यक्ष, अंशकालीन कर्मचारी संघ

  • मनोज उईके, डॉ. अमित सिंह (कार्यवाहक अध्यक्ष) और शिवेंद्र पांडे

20 साल से बंद नियमित भर्तियां

मोर्चा ने यह भी कहा कि पिछले दो दशकों से प्रदेश में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के नियमित पदों पर भर्ती लगभग बंद है। विभागीय काम इन्हीं अस्थायी और आउटसोर्स कर्मचारियों से कराया जा रहा है, जिन्हें न तो उचित वेतन मिलता है, न ही भविष्य की सुरक्षा। मोर्चा ने कहा कि अब “बदलाव की घड़ी आ गई है” और सरकार को स्थायीकरण की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

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