जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ की दिव्यता और आस्था का जादू अब सीमाओं को भी लांघ चुका है। दुनिया भर से श्रद्धालु संगम में पुण्य स्नान के लिए उमड़ रहे हैं, और इसी कड़ी में पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आए 68 हिंदू श्रद्धालुओं ने गुरुवार को गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की और इस अलौकिक अनुभव को अविस्मरणीय बताया।
“हम खुद को रोक नहीं सके…” – पाकिस्तानी श्रद्धालु
सिंध प्रांत से आए गोबिंद राम माखीजा ने बताया कि जैसे ही उन्होंने महाकुंभ के बारे में सुना, उनकी यहां आने की तीव्र इच्छा जाग उठी। उन्होंने कहा, “हम खुद को रोक नहीं सके, यह अनुभव शब्दों से परे है। यहां आकर सनातन धर्म में जन्म लेने का गौरव महसूस हो रहा है।”
माखीजा के अनुसार, पिछले वर्ष अप्रैल में 250 श्रद्धालु पाकिस्तान से प्रयागराज आए थे और इस बार सिंध के गोटकी, सक्कर, खैरपुर, शिकारपुर, कर्जकोट और जटाबाल जिलों से 68 लोग यहां पहुंचे हैं, जिनमें से करीब 50 पहली बार महाकुंभ का हिस्सा बने हैं।
बता दें, पाकिस्तान से आए ये श्रद्धालु विशेष वीजा लेकर भारत आए और इससे पहले हरिद्वार में अपने लगभग 480 पूर्वजों की अस्थियों का विसर्जन कर चुके थे। महंत रामनाथ के नेतृत्व में आए इस जत्थे ने महाकुंभ के दिव्य वातावरण में शामिल होकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। श्रद्धालुओं ने बताया कि वे अखाड़ों के साधु-संतों का दर्शन करेंगे और पूरे कुंभ मेले का भ्रमण करेंगे। साथ ही उन्होंने भारत सरकार से वीजा प्रक्रिया को सरल करने की अपील की।
“पहली बार अपने धर्म को गहराई से जाना…”
गोटकी से आई 11वीं की छात्रा सुरभि ने कहा, “यह मेरा पहला भारत दौरा है और पहली बार मैं कुंभ मेले में आई हूं। यहां हमें अपने धर्म और संस्कृति को गहराई से समझने का अवसर मिल रहा है। यह अनुभव अविस्मरणीय है।”
वहीं, सिंध से आई प्रियंका ने कहा, “मैं पहली बार भारत आई हूं और यहां आकर बेहद दिव्य अनुभव हो रहा है। हम मुस्लिमों के बीच पले-बढ़े, लेकिन महाकुंभ में आकर अपनी संस्कृति को देखने और समझने का अवसर मिला है।”
महाकुंभ 2025 ने एक बार फिर साबित कर दिया कि आस्था की कोई सीमा नहीं होती। प्रयागराज का संगम हर धर्म, जाति और देश के लोगों को जोड़ने का काम कर रहा है।