कोल्ड्रिफ कफ सिरप कांड में बड़ा एक्शन: श्रीसन फार्मा डायरेक्टर गोविंदन रंगनाथन की चेन्नई से हुई गिरफ्तार, SIT ने जब्त किए अहम सबूत; जांच में खुलासा — सिरप में पाया गया DEG और EG तय सीमा से 486 गुना ज़्यादा!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ कफ सिरप से जुड़ी मौतों के मामले में अहम विकास हुआ है। श्रीसन फार्मा के डायरेक्टर गोविंदन रंगनाथन को पुलिस ने बुधवार रात चेन्नई में गिरफ्तार कर लिया है। इस गिरफ्तारी के बाद SIT ने कंपनी के कार्यालय और उत्पादन इकाई से महत्वपूर्ण दस्तावेज, दवाओं के नमूने और प्रोडक्शन रिकॉर्ड जब्त कर लिए हैं।

रंगनाथन पर 20,000 रुपये का इनाम घोषित था। वह अपनी पत्नी के साथ फरार था। चेन्नई-बेंगलुरु राजमार्ग पर स्थित उनका 2,000 वर्ग फुट का अपार्टमेंट सील कर दिया गया है, जबकि कंपनी का कोडम्बक्कम स्थित रजिस्टर्ड ऑफिस बंद मिला।

छिंदवाड़ा एसपी अजय पांडे ने बताया कि रंगनाथन को चेन्नई कोर्ट में पेश कर ट्रांजिट रिमांड मांगा जाएगा, जिसके बाद उन्हें छिंदवाड़ा लाया जाएगा।

बच्चों की मौत की संख्या हुई 24, CM रवाना होंगे नागपुर

कोल्ड्रिफ सिरप पीने से किडनी फेल होने के कारण जान गंवाने वाले बच्चों की संख्या अब 24 हो गई है। मंगलवार रात उमरेठ तहसील के पचधार गांव के तीन वर्षीय मयंक सूर्यवंशी का नागपुर मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान निधन हो गया। मयंक 25 सितंबर से अस्पताल में भर्ती था।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज नागपुर जाएंगे और वहां भर्ती बच्चों का हाल जानेंगे। चार बच्चों का इलाज नागपुर के विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है। मुख्यमंत्री पीड़ित परिवारों से मिलेंगे और उनका हाल जानेंगे।

छिंदवाड़ा महापौर विक्रम अहके ने बच्चों की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वे 10 अक्टूबर को अपना जन्मदिन नहीं मनाएंगे और सहयोग राशि पीड़ित परिवार को देंगे।

जांच में हुआ बड़ा खुलासा: जहरीला केमिकल और फैक्ट्री में गंभीर कमियां

तमिलनाडु डायरेक्टर ऑफ ड्रग्स कंट्रोल की रिपोर्ट में सामने आया है कि कंपनी ने नॉन फार्मास्यूटिकल ग्रेड का प्रोपलीन ग्लायकॉल खरीदा था, जिसमें जहरीले रसायन डाईएथिलीन ग्लायकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लायकॉल (EG) तय सीमा से 486 गुना अधिक पाए गए।

जांच में यह भी खुलासा हुआ कि कंपनी ने केमिकल की खरीद का कोई बिल या रिकॉर्ड नहीं रखा था। भुगतान कभी नकद और कभी गूगल पे से किया गया। 25 मार्च 2025 को चेन्नई की सनराइज बायोटेक से 100 किलो प्रोपलीन ग्लायकॉल खरीदी गई थी, जिसे दवा बनाने के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता।

एसआईटी ने पाया कि उत्पाद निर्माण इकाई में कई गंभीर कमियां थीं, जिनमें शामिल हैं:

  • उचित फ़िल्टर्ड हवा और तापमान नियंत्रण की व्यवस्था नहीं।

  • उपकरण टूटी अवस्था में।

  • बिना परीक्षण के नॉन-फार्मा ग्रेड सॉल्वेंट का उपयोग।

  • कच्चे माल का रिकॉर्ड न होना।

  • साफ़-सफाई और कीट नियंत्रण की कमी।

तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट ने कहा कि यह जांच सार्वजनिक सुरक्षा के हित में अत्यंत जरूरी थी।

सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका, विशेषज्ञ जांच की मांग

इस मामले की गहन जांच के लिए वकील विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में राष्ट्रीय न्यायिक आयोग या सीबीआई के माध्यम से विशेषज्ञ समिति से जांच कराए जाने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई कर सकता है।

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