जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रविवार को मऊगंज जिले के बहुती जल प्रपात का दौरा कर अवलोकन किय । प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इस जलप्रपात के व्यू प्वाइंट से उन्होंने गिरती हुई दूधिया जलधारा और उसके बीच बनते इंद्रधनुष के मनोहारी दृश्य का देखा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण को साथ लेकर चलने के लिए प्रतिबद्ध है।
गौपूजन और सांस्कृतिक सम्मान
बहुती में आयोजित कार्यक्रम स्थल पर मुख्यमंत्री ने गौपूजन किया। इस दौरान रकरी गांव के गौसेवक सौखीलाल यादव, जो जंगल में विचरण करने वाली गायों को अपनी पुकार से बुलाने की विशेष कला के लिए जाने जाते हैं, ने मुख्यमंत्री से भेंट की। कार्यक्रम में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी आश्रम की दीदीओं ने भी मुख्यमंत्री का सम्मान करते हुए उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किया।
पारंपरिक लोकनृत्य से हुआ स्वागत
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का बहुती पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मऊगंज की लोककला छात्राओं ने बघेली शैली नृत्य प्रस्तुत किया, जबकि स्थानीय कलाकारों ने अहिरहाई लोकनृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल, पशुपालन मंत्री लखन पटेल, विधायक गिरीश गौतम, दिव्यराज सिंह और प्रदीप पटेल सहित वरिष्ठ जनप्रतिनिधि व अधिकारी मौजूद रहे।
पर्यटन स्थल के रूप में बहुती का विकास
कलेक्टर संजय जैन ने जानकारी दी कि बहुती जल प्रपात को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए 10 करोड़ रुपये की कार्ययोजना तैयार की गई है। इसके अंतर्गत जनसुविधाओं का विस्तार और पर्यटक सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा। विशेष रूप से अपस्ट्रीम में स्टॉप डैम प्रस्तावित है, जिससे जल का संचय हो सकेगा और प्रपात की धारा पूरे वर्ष अविरल बहती रहेगी।
प्रदेश का सबसे ऊँचा जलप्रपात
बहुती जल प्रपात मऊगंज जिले में स्थित है और यह न केवल विंध्य क्षेत्र बल्कि पूरे मध्यप्रदेश का सबसे ऊंचा जलप्रपात है। यहां सेलर नदी 650 फीट की ऊंचाई से दो धाराओं में विभाजित होकर गिरती है, जिससे नीचे एक खूबसूरत कुंड का निर्माण होता है। घने जंगलों और चट्टानों से घिरा यह स्थान मानसून के दौरान अपने सौंदर्य के चरम पर होता है।
धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
प्रपात के समीप अष्टभुजा देवी का प्राचीन मंदिर स्थित है, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। इसके अलावा बहुती से सटे भैंसहाई क्षेत्र में प्रागैतिहासिक काल के भित्ति चित्र मिले हैं, जो इसे ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनाते हैं। प्रयागराज और वाराणसी से सड़क मार्ग से जुड़े होने के कारण उत्तरप्रदेश से भी बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं।