विवादित बयान पर फिर घिरे मंत्री विजय शाह: कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने पद से हटाने को लेकर दी कानूनी चुनौती, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश के मंत्री विजय शाह का नाम एक बार फिर विवादों में है, और इस बार मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है। कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने एक नई याचिका दाखिल कर मंत्री विजय शाह को पद से हटाने की मांग की है। यह याचिका विजय शाह द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए गए एक आपत्तिजनक और तीखे बयान के बाद दायर की गई है, जिसने देशभर में रोष की लहर पैदा कर दी है।

इस याचिका में कहा गया है कि मंत्री शाह का व्यवहार संविधान के अनुच्छेद 164(3) में निहित मंत्री पद की शपथ का उल्लंघन करता है। जया ठाकुर की ओर से कोर्ट से “क्वो-वारंटो” रिट की मांग की गई है — यानी एक कानूनी आदेश जिससे यह पूछा जाए कि आखिर किस अधिकार से विजय शाह मंत्री पद पर बने हुए हैं, जब उन्होंने सार्वजनिक रूप से संवेदनशील और विवादित बयान दिया है।

क्या था विवादास्पद बयान?

मंत्री विजय शाह ने 11 मई को इंदौर के महू क्षेत्र के रायकुंडा गांव में आयोजित ‘हलमा कार्यक्रम’ में एक बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का संदर्भ लेते हुए कहा था –
“उन्होंने कपड़े उतार-उतार कर हमारे हिंदुओं को मारा और मोदी जी ने उनकी बहन को उनकी ऐसी की तैसी करने उनके घर भेजा… अब मोदी जी कपड़े तो उतार नहीं सकते, इसलिए उनकी समाज की बहन को भेजा।”

शाह के इस बयान को कई स्तरों पर जातिगत, लैंगिक और सैनिक गरिमा के खिलाफ बताया गया। यह टिप्पणी उस प्रेस कॉन्फ्रेंस के संदर्भ में की गई थी, जिसमें कर्नल सोफिया कुरैशी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह, और विदेश विभाग सचिव विक्रम मिसरी ने ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी जानकारियां साझा की थीं।

मामले की गंभीरता को देखते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने इस पर तीखी नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को सुनवाई करते हुए मंत्री के बयान को “अस्वीकार्य” बताया और राज्य सरकार से पूछा कि अब तक क्या कार्रवाई हुई है? इसके बाद कोर्ट के आदेश पर तीन सदस्यीय SIT का गठन किया गया।

 20 मई से शुरू हुई जांच में SIT ने इंदौर में एक बेस कैंप बनाया और वहां से रायकुंडा गांव में जांच अभियान चलाया। इस दौरान 125 से अधिक लोगों के बयान लिए गए, जिनमें मंच पर मौजूद विधायक, कुलपति, पत्रकार, एनसीसी कैडेट्स और स्टूडेंट्स शामिल थे। बयान दर्ज करने की पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई और दस्तावेज बनाकर 28 मई को सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए।

 सुनवाई के दौरान कांग्रेस नेता जया ठाकुर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता वरुण ठाकुर और विवेक तन्खा ने कोर्ट को बताया कि SIT ने जांच टालने की कोशिश की और तकनीकी बहाने बनाए। उन्होंने कहा कि MP की FSL लैब में जरूरी सुविधा नहीं होने की बात कहकर जांच टाली गई, जो संदेह को जन्म देती है। साथ ही, राज्य सरकार ने आज तक मंत्री से इस्तीफा नहीं लिया — जो सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करता है।

दिलचस्प बात यह है कि जिस बयान की सत्यता की जांच SIT कर रही है, उस बयान पर स्वयं विजय शाह तीन बार सार्वजनिक रूप से माफी मांग चुके हैं। पहले मीडिया के सामने, फिर वीडियो जारी कर और अंत में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से 5 दिन पहले उन्होंने फिर एक वीडियो जारी कर माफी मांगी। उन्होंने इसे “भाषाई भूल” करार देते हुए कहा, “मैं हाथ जोड़कर कर्नल सोफिया कुरैशी से माफी मांगता हूं।”

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